कूड़े के ढेर पर सियासत की कुर्सी – उत्तरकाशी

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शिव नगरी उत्तरकाशी को कूड़े से निजात मिलेगी

क्या हम  तीर्थ यात्रियो को अपनी गंदगी दिखा रहे है

 

क्या इसका कोई इलाज नहीं ?

क्या नेतृत्व क्षमता क्षीण हो चुकी है ?

क्या ब्यूरोक्रेसी को मिले अधिकार बेकार साबित हो रहे है

ये वो तमाम सवाल है जो इन डीनो आम नगर वासियो के जेहन मे गूंज रहे है  

 हालात बता रहे हैं कि अभी कूड़े से मुक्ति होने वाली नहीं

नगरपालिका उत्तरकाशी ने  गंगा नदी के किनारे तमा खानी टनल के पास नगर के प्रवेश द्वार पर शहर के कूड़े का ढेर एकत्र कर  दिया है

नियमानुसार कूड़े को  सूखा और गीला अलग अलग ढेर मे एकत्र किया जाना था  लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिसके चलते यहां कूड़े के ढेर से बदबू  उठने  लगी है

नगर के प्रवेश द्वार पर यह कूड़ा न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि तीर्थ यात्रियों के लिए भी सर दर्द बना हुआ है।  नगर पालिका परिषद उत्तरकाशी ने पिछले महीने 72  लाख  रुपए का टेंडर कर इस पुराने कूड़े को ट्रीटमेंट के बाद डिस्पोजल करने का वादा किया था

ठेकेदार मशीन और उपकरण को लेकर मौके पर भी पहुंचा लेकिन उत्तरकाशी – लमगांव केदारनाथ राजमार्ग पर बिना शेड खड़ा किए ही कूड़े के निस्तारण की तैयारी देख स्थानीय ग्रामीणों ने विरोध सुरू कर दिया इसके अलावा एनजीटी के मानकों का भी हवाला देते हुए इस स्थान पर कूड़ा डिस्पोज का उन्होने विरोध जताया

दरअसल आज तक जिस जगह पर भी नगरपालिका ने कूड़ा डिस्पोजल के लिए स्थान का चयन किया वहां पर कूड़ा का डिस्पोजल न करके कूड़े का ढेर ही लगाया है जिससे वातावरण में कूड़े से निकली जहरीले हवाएं फैल  रही हैं यही वजह है कि अब सभी जगह पर कूड़े का विरोध हो रहा है

तो क्या पालिका ने जनत का विश्वास खो दिया है

क्या वर्तमान पालिका परिषद के पास इसका कोई इलाज नहीं

क्या हर बात के लिए प्रशासन और सरकार का मुंह ताकना पड़ेगा ?

 

स्थानीय लोगो कि माने तो घरों से निकलने वाला कूड़ा मशीन और उपकरण होने के बावजूद भी अलग अलग नहीं किया जा रहा है और अगर इसी तरह से चलता रहा तो नगर में कूड़े का एक और पहाड़ खड़ा हो जाएगा और तब इसका ट्रीटमेंट करना बेहद मुश्किल हो सकता है

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