चैंबर ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स ने मुंबई के इंडियन मर्चेंट चैंबर में 30 अप्रैल को सूचना के अधिकार पर व्याख्यान बैठक आयोजित की। इसमें प्रमुख कर सलाहकारों और चार्टर्ड एकाउंटेंटों ने भाग लिया। श्री शैलेश गांधी पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त ने इस अवधारणा पर चर्चा करके अपनी बात शुरू की कि लोकतंत्र में सरकार में सब कुछ शामिल है, जिसमें शामिल जानकारी नागरिकों की है। उन्होंने यह भी कहा कि बोलने की स्वतंत्रता, प्रकाशित करने की स्वतंत्रता और सूचना का अधिकार सभी संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत आते हैं। इसलिए अनुच्छेद 19 (2) के तहत प्रदान की गई सभी तीनों पर समान प्रतिबंध लागू होंगे।
अंकित तिवारी
उन्होंने तब अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों की व्याख्या की और जोर दिया कि सूचना का खंडन केवल आरटीआई अधिनियम की धारा 8 और 9 के तहत स्वीकार्य है। उन्होंने बताया कि कई अधिकारी गलत तरीके से सभी व्यक्तिगत जानकारी के लिए छूट का दावा करके जानकारी से इनकार कर रहे थे।
यह आवश्यक है कि जो कोई भी इस उपधारा के तहत जानकारी से इनकार करता है, उसे एक घोषणा करनी चाहिए कि वह इसे संसद को देने से इनकार कर देगा। इस तरह के बयान के बिना इनकार अवैध है और नागरिकों को यह प्रतियोगिता करनी चाहिए। उन्होंने आरटीआई उपयोगकर्ताओं को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए उन्हें यह कहकर भड़काने का प्रयास किया कि यह धीरे-धीरे बोलने की स्वतंत्रता को सीमित करने और साथ ही प्रकाशन को बढ़ाएगा।
इसके बाद अग्रणी पत्रकार राहुल वाडके ने प्रभावी आरटीआई अनुप्रयोगों को फ्रेम करने और अपने अनुभवों का वर्णन करने के टिप्स दिए। दोनों वक्ताओं ने हमारे लोकतंत्र को सार्थक बनाने के लिए नागरिकों को सशक्त बनाने में आरटीआई की भूमिका की सराहना की।