जनता से जुड़े मुद्दे आखिर चुनाव के समय क्यो गायब हो जाते है ? क्यो शराब और धन बल के प्रभाव मे जनता से वोट ले लिए जाते है क्या मीडिया भी कॉर्पोरेट के चुंगुल मे बुरी तरह से फंस चुकी है ? जन मुद्दों पर एकजुट आवाज़ उठाने के उद्देश्य से – गढ़वाल यात्रा के माध्यम से जन संगठनों का प्रयास है कि चुनवा मुद्दो पर लड़ा जाय ताकि सही प्रत्यासी का चयन हो सके | साथ ही भू कानून जैसे मुद्दो पर भी राजनैतिक दल संवेदनशील रवैया अपनाए इसके लिए प्रयास सुरू हो गए हैं।
17 दिसम्बर से 22 दिसम्बर तक उत्तराखंड के कुछ प्रमुख जन संगठनों की और से गढ़वाल के अलग अलग क्षेत्रों में समान सोच के लोगो को से मिलने का कार्यक्रम रखा गया है – “उत्तराखंड की बात, आम जन के साथ” के नाम पर आम जनता के मुद्दों पर लड़ने वाले, उनके लिये निरंतर आवाज उठाने वाले सभी साथियों से मिलने का एक प्रयास किया जा रहा है। 17 और 18 तारीख को इस कार्यक्रम के दौरान चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल और विनोद बड़ोनी, बीज बचाओ आंदोलन के साहब सिंह सजवाण और सर्वोदय मंडल के गोपाल भाई उत्तरकाशी में अन्य साथियों से मिले।
विकास के नाम पर चुनाव लड़ने वाले मतदाताओ को भ्रमित करने मे लगे हुए हैं । और राज्य की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है , जहँ एक ओर लोगों को बेरोज़गारी, गरीबी, प्राकृतिक आपदाओं और प्राकृतिक संसाधनों की लूट का , शिक्षा व इलाज मे बढती जा रही लूट और भ्रष्टाचार का रोज़ सामना करना पड़ रहा है, वहीं अलग अलग मुद्दों जैसे भू कानून पर संघर्ष कर रही उत्तराखंड की जनता के प्रति सरकार पूरी तरह से असंवेदनशील बन चुकी है। लोगों के मुद्दों से राजनीती पूरी तरह कटी है। इस हालत में राज्य की भविष्य कैसे होगी, यह सोचा जा सकता है।