भारत गाँव मे बसता है _ उत्तरप्रदेश के इस गाव मे आपको लिए चलते है जहा भारत की तस्वीर पर रंग भरने के लिए भी पानी मौजूद नहीं है | जहा जल विभाग ने हैंड पंप अथवा मोटर चालित पंप तो लगाए पर पलट कर उनकी सुध तक नहीं ली, कि आखिर पानी गुणवत्ता परक है भी या नहीं |
जमीन के अंदर से निकालने वाला ये पानी इतना मटमैला है कि इसे पिया नहीं जा सकता | जानकार कहते है कि इसमे लोहा है | आखिर विभाग ने बिना ग्राउंड ज़ीरो पर रिपोर्ट देखे कैसे बजट डकार लिया ? ग्रामीणो कि मजबूरी है कि एकमात्र कुंये से खुद के लिए और जानवरो के लिए पानी भी ढो कर लाना पड़ता है | पूर्व प्रधान कहते है कि तीन साल पहले शिकायत के बाद सर्वे हुआ था, पर योजना कब आकार लेगी किसी को नहीं मालूम | बड़ा सवाल ये है कि भारत सरकार कि जल जीवन मिशन योजना मे हर घर मे नल और हर नल मे जल मिलना है, जिसकी आम लोगो को जानकारी तक नहीं है, ऐसे मे गरीब लोगो की मजबूरी का नेता, विधायक और मंत्री कब तक फायदा उठाते रहेंगे और किस कीमत पर ?
उत्तरप्रदेश के जनपद प्रयागराज से लगभग 35 किलोमीटर करछना तहसील के अंतर्गति ग्रामसभा मेड़रा का पुरवा आबादी में बस्ती में लगभग सैकड़ो घर ऐसे है की जँहा आज भी शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है | ग्रामीणो का कहना है कि जब हैण्डपम्प अथवा समरसेबल से पानी निकालते है तो कुछ देर बाद ही पानी का रंग मटमैला – पीला हो जाता है, इसकी शिकायत उन्होंने कई बार बिभाग के लोगों से और अलग अलग नेताओं और जनप्रतिनिधियों से भी की लेकिन अभी तक कुछ भी इसमें कोई भी सुधार नहीं हुआ|
गांव के पास ही एक कुआँ है जिससे ग्रामीण पीने का पानी वहा से भर लेते है| भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना जलजीवन मिशन की ज़्यादातर ग्रामीणो को जानकारी नहीं है | लोग सिर्फ इतना चाहते है की यहाँ पर एक बड़ा टंका लग जाये जिससे लोगों को पर्याप्त पेयजल मिल सके |
दिलचस्प ये है कि गाँव से 500 मीटर दूरी पर ही एक टौंस नदी बहती है | अगर पास मे नदी हो और किनारे पर लोग प्यासे हो तो इसे पिछले जन्म का नहीं इसी जन्म का पाप समझिए जिसका प्रायश्चित भी इसी जन्म मे करना होगा