राज्य कर अधिकारी की उपचार के दौरान मौत, जमकर हंगामा

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रुद्रपुर। हल्द्वानी में तैनात राज्य कर अधिकारी की अचानक तबियत बिगड़ गई और उन्हें इलाज के लिए किच्छा रोड मेडिसिटी हास्पिटल में भर्ती कराया। जहां उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इधर घटना के बाद परिजनों और विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी पहुंचे। उन्होंने चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगा हंगामा किया। धरने पर भी बैठ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि मरीज की मृत्यु शाम के वक्त हुई और सुबह उनको जानकारी दी गई। गंगापुर रोड निवासी 55 वर्षीय देवेंद्र राणा पुत्र उदय सिंह राणा हल्द्वानी में राज्य कर अधिकारी पद पर कार्यरत थे। पत्नी संग रुद्रपुर निवास करते थे। परिजनों के मुताबिक गुरुवार की सुबह करीब साढ़े 11 बजे उन्हें घबराहट हुई और जिसके वह पत्नी के साथ इलाज के लिए मेडिसिटी हास्पिटल गए। हृदय की परेशानी के चलते अस्पताल में भर्ती हो गए। उपचार के दौरान मृत्यु होने पर परिवार के लोग शुक्रवार की सुबह अस्पताल के गेट पर धरने पर बैठ गए।
इधर सूचना पर डिप्टी कमिश्नर शिवेंद्र प्रताप सिंह, ज्ञानचंद्र, स्मिता सहित अन्य अधिकारी भी पहुंच गए। धरना दे रहे परिजनों का आरोप है कि पूरे दिन कोई भी वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ उन्हें देखने नहीं आया। इलाज के लिए करीब 40 हजार खर्च हुए। इसके अलावा मृत्यु होने के बाद शेष 48 पहले पैसे जमा कराए। इसके बाद मरीज की मृत्यु होने की सूचना दी गई। बताया कि शाम के वक्त एक जूनियर डाक्टर का फोन आया। उन्होंने एंजियोग्राफी कराने की बात कही। रात के समय बताया कि मरीज को थोड़ी परेशानी हो रही है दवा दी गई है। सुबह के वक्त पैसे जमा कराने के बाद करीब पांच बजे बताया गया मरीज की मृत्यु हो गई है। परिजनों ने इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सक के विरूद्ध कोतवाली में तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। इधर कोतवाल विक्रम राठौर ने बताया कि पुलिस इस मामले में तहरीर नहीं मिली है। तहरीर मिलने पर जांच की जायेगी। समाचार लिखे जाने तक इस मामले में रिपोर्ट दर्ज नहीं हो सकी थी। मौके पर विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर डीएस नबियाल, असिस्टेंट कमिश्नर अनिल कुमार सिन्हा, राज्य कर अधिकारी प्रकाश त्रिवेदी, कुंदन सिंह पांगती, प्रशासनिक अधिकारी संजय उपाध्याय आदि मौजूद थे। द मेडिसिटी हास्पिटल के प्रशासक धीरेंद्र मेहरा ने बताया कि चिकित्सक की ओर से पूरी कोशिश की गई, लेकिन देवेन्द्र की ब्रेन हेमरेज होने के चलते मौत हो गई। उन्होंने परिजनों के द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताए। हालांकि अस्पताल के प्रबंधन में से डॉ. दीपक छाबड़ा से संपर्क करना चाह तो संपर्क नहीं हो सका।

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