उत्तरकाशी : ठेकेदार के आतंक से पिछड़ा इस घाटी का विकास

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पीएम मोदी के लोकल वोकल ने नारे के बीच उत्तरकाशी जिला मुख्यलय से लगे हुए संगमचट्टी क्षेत्र के करीब 9 गाँव के लोग सदियो से एक सड़क की मांग को लेकर आंदोलित है  हर बार इन्हे कोरा आश्वासन का झुनझुना थमा दिया जाता है | इस बार आर-पार  पार की लड़ाई के मूड मे दिख रहे स्थानीय युवाओ मे राजनीति के डंडे – झंडे एक तरफ छोड़ कर सिर्फ क्षेत्र के विकास मे बाधक बन रही सड़क और उसके ठेकदारों के खिलाफ झण्डा उठा लिया है | डीएम को सौंपे अपने ज्ञापन मे युवाओ ने एक सप्ताह का अल्टिमेटम देते हुए गंगोत्री एनएच पर धरना  प्रदर्शन करते हुए विधान सभा  चुनाव 2022 मे चुनाव  बहिस्कार की घोषणा कर दी है |

उत्तरकाशी – गंगोत्री राजमार्ग पर गंगोरी के पास से संगम चट्टी की तरफ जाने वाली ये सड़क आसपास के करीब 9 गांवो को जोड़ती है | जिला मुख्यालय मे  7 से 15 किमी दूर होने के बाद भी यह इलाका प्रशानिक और राजनैतिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है |

सड़क के दोनों तरफ जुड़े हुए गाँव के लोग अपने खून पसीने से जमीन का सीना चीर कर अपने हिस्से की रोटी की जुगाड़ करते है | स्थानीय कैश क्रॉप उगाने के अलावा यहाँ  के युवा रोमांच  के शौकीन है , साहसिक पर्यटन मे दक्ष देश – विदेश के पर्यटको को ट्रेकिंग टूर पर ले जाने के साथ एनआईएम से प्रसिक्षण  प्राप्त है और आपदा खोज – बचाव मे भी दक्षता लिए हुए है |

विश्व प्रशिद्ध पर्यटक स्थल डोडिताल  भी इसी इलाके मे है,  जहा हर वर्ष बड़ी तादाद मे देशी- विदेशी पर्यटक घूमने आते है | देश की सबसे बड़ी सेवा आईएएस के प्रशिक्षु भी हर साल डोडिताल  ट्रेक पर निकलते है |

इसके बाद भी यह इलाका बिना सड़क के पिछड़ा हुआ है | गाँव कि कैश क्रॉप हो अथवा दूध दहि और पनीर को बाजार तक ले जाने मे भाड़ा इतना अधिक हो जाता  है कि किसान को उसका दाम नही मिल पाता है

 लंबे आंदोलन के बाद पीएमजीएसवाई ने यहाँ तीन चरण मे सड़क निर्माण कार्य सुरू कराया किन्तु ठेकेदार की ऊंची रसूख के चलते सड़क के हालात नहीं बदले | न सड़क की चौड़ाई बढ़ी और न जरूरी पुस्तों का निर्माण हो सका | पंचायत सदस्य हो विधायक अथवा सांसद सभी तक आप बीती सुनाने  के बाद भी ठेकेदार के तेवर कम नही हुए | आलम  ये है कि विभागीय अधिकारी के दौरे के दिन इलाके मे कुछ मजदूर काम करते हुए दिखाई  देते है किन्तु दौरा समाप्त होते ही हालात जस के तस हो जाते है | ट्रेकिंग हो अथवा  वीकेंड इस इलाके मे घूमने  के लिए लोग आतुर दिखाई देते थे | वर्ष 2012 – 13 की  आपदा के बाद सड़क पर करोड़ो खर्च हुए लेकिन हालात  आजतक नहीं सुधरे | विधायक  से लेकर सांसद तक पक्ष और विपक्ष के चक्कर काटने के बाद हतास ग्रामीणो ने अब अपने स्तर पर महा – आंदोलन चलाने के साथ विधान सभा चुनाव बहिस्कार की  घोषणा कर दी है |

आइए आपको मिलते है इलाके के दो ऐसे नौजवानो से जो राजनैतिक रूप से एक दूसरे के विरोधी है किन्तु अपने क्षेत्र की  पीड़ा को देखते हुए एक साथ मिलकर आंदोलन कि तैयारी मे जुट गए है |

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