कहते है हाथी के दांत खाने के और होते है और दिखाने के और , धरमान्तरण के मामले मे उत्तरकाशी पुलिस पर यह बात सटीक बैठती है , धरमान्तरण पर सबसे सख्त कानून बनाने का पहला राज्य होने का दावा करने वाली बीजेपी सरकार की नाक के नीचे ऐसा क्या हुआ कि पुलिस की नींद खोलने के लिए आम लोगों को सड़क पर उतरना पड़ा
सड़कों पर यह हुजूम प्रदेश बीजेपी सरकार और उसकी पुलिस के खिलाफ हो रहा है ।
नाराजगी धर्मांतरण के एक मामले को लेकर है और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या धर्मांतरण पर सरकार सिर्फ कानून बनाने तक ही सीमित है ? अब कानून बनाया तो उस कानून को अमली जामा कौन पहनाएगा ।
सवाल यह भी है कि क्या धामी सरकार के कानून को धर्मांतरण कराने वाले ठेंगे पर रख रहे हैं ?
और क्या इस तरह से कानून बनाकर सरकार सिर्फ अपनी सियासी रोटियां सेक रही है ?
और धर्मांतरण रोकने की जब बारी आती है तो पुलिस चुप्पी साध लेती है और जब जनता से जुड़े लोग इसकी जानकारी डीजीपी को सीधे फोन पर देते हैं उसके बाद भी 100 मीटर दूर चलने मे पुलिस को घंटे भर का समय लग जाता है और आम लोगों को ही बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतरना पड़ता है
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उत्तरकाशी के पुरोला में जब एक मिशनरी द्वारा ये कृत्य किया जा रहा था तब स्थानीय लोगों ने डीजीपी उत्तराखंड को फोन पर इसकी जानकारी दी , साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी सूचित किया , इसके बाद भी पुलिस प्रशासन सुस्त पड़ रहा और हंगामा बढ़ने का इंतजार करता रहा , पुलिस की जांच मे स्थानीय लोग ही संदिग्ध नजर आए और तो और ग्राउन्ड जीरो पर खबर को कवर करने गए मीडिया कर्मियों पर भी मुकदमा ठोक कर लोकतत्र का गला घोंटने का प्रयास किया गया
धर्मांतरण किसने करवाया? किसके इशारे पर करवाया यह तमाम ऐसे सवाल हैं जिनकी जांच करने का दावा अब पुलिस कर रही है लेकिन उत्तराखंड की उत्तरकाशी पुलिस पर गंभीर आरोप वहां के लोग लगा रहे हैं कि धर्मांतरण करने वालों को संरक्षण दिया जा रहा है और सबसे बड़ा सवाल ये कि जिस दौरान धर्मांतरण के कानून को अमलीजामा पहनाया गया और सरकार हर कदम हर मंच पर खुद अपनी ही पीठ ठोंकती नजर आई, उसी दरमियान सीमांत जिले मे यह धर्मांतरण का खेल कैसे हो गया
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सवाल पुलिस की कार्यप्रणाली पर है तो सरकार पर भी लोग निशाना साध रहे हैं और इसीलिए इतनी बड़ी तादाद में लोगों को सड़क पर उतरना पड़ा
पुरोला में इस तरह का आक्रोश इस तरह के आंदोलन पहले भी होते रहे है स्थानीय प्रशासन को अच्छी तरह मालूम है कि यहाँ जनता का राज चलता है और एक बार लोगों का विश्वास उठा तो कानून व्यवस्था कायम रखना जिला प्रशासन के लिए भारी पड़ सकता है , पुलिस की लीपापोती और हील हवाली के बाद उमड़ी भारी भीड़ के जुनून को देखकर ये साफ साफ लग रहा है कि धर्मांतरण के धंधे को लेकर लोगों में कितना गुस्सा है
और इस धंधे के पीछे कौन-कौन लोग हैं जल्द इसका राज पाश नहीं हुआ तो एक बार लोकतंत्र अपना इतिहास लिखेगा , जन अक्रॉस के बाद अब जरूर कहा जा रहा है कि जांच की जा रही है कुछ लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए हैं जल्द ही गिरफ्तारी की बात भी की जा रही है लेकिन इतना तो साफ है कि आम लोगों में जो भारी आक्रोश देखने को मिला ये अब किस तरीके से आगे बढ़ेगा और जिला प्रशासन इस पर कैसे नियंत्रण करेगा इस पर सभी की नजर है ।