उत्तरकाशी – मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ0 केएस चौहान की अध्यक्षता में जिला महिला चिकित्सालय में विश्व हिपेटाइटिस डे के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा सभी उपस्थित लोगों एवं चिकित्सालय के कार्मिकों को हिपेटाइटिस के बारे में जानकारी प्रदान की गई । उन्होंने कहा कि मुख्यतः पाँच प्रकार के हिपेटाइटिस वायरस ए, बी, सी, डी एवं ई होते हैं इनमें से सबसे खतरनाक वायरस हिपेटाइटिस बी होता है। लिवर और किडनी ऐसे अंग हैं जिनका आपस में गहरा संबंध है क्योंकि लिवर में पैदा होने वाले विषाक्त तत्वों (टाॅक्सिन्स) को शरीर से बाहर निकालने का काम गुर्दे (किडनी) ही करते हैं। हिपेटाइटिस रोग में लिवर में सूजन और क्षति पहुंचने लगती है जिसका असर किडनी पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि विभिन्न प्रकार के हिपेटाइटिस रोगों में किडनी को नुकसान आमतौर पर हिपेटाइटिस बी और सी की वजह से पहुंचता है। ये दोनों संक्रमण शेयर्ड सुइयों, संक्रमित द्रव्यों और रक्त चढाने पर होते हैं। सभी उपस्थित नागरिकों को उनके द्वारा सुझाव दिया गया कि सभी स्वयं एवं अपने परिवारजनों का हिपेटाइटिस का टीका अवश्य लगवायें। डाॅ0 चौहान द्वारा हिपेटाइटिस के लक्षण, कारण एवं रोकथाम के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।उनके द्वारा सभी नागरिकों से जागरूकता हेतु अपील की गई।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई कि सभी स्वस्थ शिशुओं को 24 घण्टें के भीतर हिपेटाइटिस जीरों की डोज दी जा सकती है। इसके साथ ही अन्य उपस्थित वक्ताओं द्वारा भी हिपेटाइटिस वायरस के संबंध में अपने वक्तव्य व्यक्त किये गये।