दैवी आपदा से अब प्रवासी उत्तरखंडी युवाओ के सपने मे चकनाचूर होने लगे है | ताजा मामला चिन्यालीसौड़ विकासखंड के खालसी गाव का है जहा कोरोना महामारी के दौरान हुए लौक डाउन के बाद शैलेंद्र पँवार, छत्तीसगढ़ मे अपनी होटल की नौकरी छोड़ कर अपने गाव लौटे थे, और बड़े विश्वास के साथ मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत मुर्गी पालन का व्यवसाय सुरू किया था | गुरुवार सुबह लगातार बरस रही आसमानी आफत के बाद मुर्गी फार्म का भवन ढलान की तरफ धंस गया और करीब 250 मुर्गीया उसमे फंस कर मर गयी | पीड़ित परिवार ने किसी तरह बची हुई मुरगियों को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट कराया |
शैलेंद्र पँवार ने बताया कि उसने एएफ़सीआई चंबा से होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा लिया था और छतीसगढ़ मे नौकरी कर रहे थे , लेकिन लौक डाउन के बाद सीएम स्वरोजगार की योजना के अंतर्गत स्वरोजगार सुरू किया | विभाग से 5 लाख रु स्वीकृत हुए थे जिसमे तीन लाख रुपए भवन के लिए और दो लाख रूपये मुर्गी खरीद के लिए दिये गए थे, हालांकि वास्तविक रूप मे इससे अधिक का खर्च हुआ था | मुरगियों के लिए भवन निजी भूमि पर बना था, और भवन के नीचे आम प्रयोग मे होने वाला रास्ता है | इस मानसून की लगातार वर्षा के बाद किसी अनहोनी कि आशंका से उन्होने ग्राम पंचायत को इस रास्ते को मजबूत पुस्ते के साथ पक्का करने की सलाह दी थी यदि समय पर पूस्ता लग जाता तो उसका मुर्गी का भवन भी सुरक्षित रह सकता था | गुरुवार की सुबह वर्षा के बाद मुर्गी भवन मे धँसाव सुरू हुआ और देखते देखते चौड़ी दरार पड़ गयी जिसमे सैकड़ो मुरगिया दबकर मर गयी | उन्होने बताया कि एक बार मे एक हजार मुर्गीया लाते थे जो 45 दिन मे मांस के लिए तैयार हो जाती थी इस बार उनका ये चौथा लौट था| अच्छी आम्दानी हो रही थी घर परिवार चल रहा था, अब कुदरत ने इस पर ब्रेक लगा दिया है बैंक कि किस्त समय पर देनी है इसकी चिंता लगातार हो रही है |
जिलाधिकारी उत्तरकाशी मयूर दीक्षित ने बताया कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना मे फिलहल कोई राहत नहीं दी जा सकती है किन्तु दैवी आपदा मद मे भवन के लिए कुछ राहत मिल सकती है | इसके लिए वे संबन्धित अधिकारी को निर्देशित करेंगे
सामाजिक कार्यकर्ता कुलवीर कंडियाल ने राजस्व विभाग और जिलाधिकारी से स्वरोजगार मे लगे युवक कि हर संभव मदद करने की मांग की है