जाको राखे साईया मार सके न कोई |
आपदा ने जान तो बख्सी पर जीने का सहारा छीन लिया |
कुदरत भी इंसान के साथ कभी बड़े क्रूर मज़ाक करती है | मामला उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ विकासखंड का है, जहा इस दैवी आपदा मे कुदरत ने बुजुर्ग से रहने का आसरा तो छीन लिया पर जान बख्स दी | पहले से ही अपने बच्चो से दूर अपनी बुजुर्ग माता की सेवा मे चन्दन सिंह अपने बच्चो से से दूर अपनी पत्नी और माता के साथ इस घर मे निवास करते आ रहे थे, माता और पत्नी की मौत के बाद भी बच्चो के साथ अच्छे संबंध न होने के चलते इसी भवन मे निवास करते थे, हालांकि उनके दो बच्चे है जो गाव मे रहते है और मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालते है |
उत्तरकाशी जिले के चिन्यलीसौड़ विकासखंड अंतर्गत अनोल गाँव के कोटिसौड़ तोक मे जोगत रोड के नीचे लक्ष्मण सिंह के मकान के पास बुजुर्ग चन्दन सिंह का मकान है| बीती 24/25 जुलाई की रात करीब 3 बजे मानसून की वर्षा के चलते इस दो मंजिला भवन की छत उस वक्त भड़भड़ा कर गिर गयी, जब बुजुर्ग चन्दन सिंह उसमे सो रहे थे | ऊपरी मंजिल की छत की पटाल स्लेट फर्स को तोड़ते हुए निचली मंजिल तक तोडफोड मचाते हुए पहुच गयी | बुजुर्ग की किस्मत अच्छी थी की बाल बल बच गए | तस्वीर पर गौर करे तो जिस कोने पर बुजुर्ग सो रहे थे उस कोने को छोडकर पूरा फर्स टूट चुका है उसमे छेद हो चुका है |
सामाजिक कार्यकर्ता जीत सिंह भड़कोटी ने बताया कि बुजुर्ग वर्षो से इसी घर मे निवास करते आ रहे थे और हादसे वाली रात को भी इसी भवन मे सो रहे थे | उन्होने जिला प्रशासन से जरूरतमन्द गरीब बुजुर्ग की आपदा मद मे मदद करने कि गुहार लगाई है