उत्तरकाशी : 6 अक्तूबर से बिजली बंद ? 14 मे से 4 भी मन लेते तो रुक जाती हड़ताल

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पीएम मोदी के दौरे से पहले अंधेरे मे उत्तराखंड ?

6 अक्तूबर की सुबह 8 बजे से उत्तराखंड के सभी बिजली कर्मचारी उत्पादन वितरण और पारेषण मिलकर अपने अपने काम को यथा स्थिति मे छोड़ कर हड़ताल मे सामिल हो जाएंगे | जुलाई महीने मे निगम प्रबंधन और सरकार के बीच हुये समझौते का पालन नहीं होने से नाराज बिजली कर्मी इस बार पिछले धोके से घायल और जख्मी होने के बाद भी जोश खरोस से लबरेज दिखाई दे रहे है |

गौरतलब है कि पिछले जुलाई मे  भी हड़ताल के बाद  निगम प्रबंधन सरकार और आंदोलंकारियों के बीच वार्ता के बाद हुए समझौते मे बिजली कर्मचारियो ने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी , जिस पर समय रहते कोई प्रगति न होते देख एक बार फिर बिजली कर्मी आर पार की  लड़ाई  के मूड मे आ गए है |

उत्तरकाशी तिलोथ पावर हाउस मे बिजली विभाग से जुड़े तीनों निगमो के कर्मचारी अधिकारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले धरने पर बैठे और  सरकार और निगम प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की |

पिछली बार धोके से घायल और जख्मी आंदोलनकारी और अधिक उग्र

संयुक्त संघर्ष समिति के संरक्षक एसके थपलियाल ने बताया कि उनका आंदोलन गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है , पिछली ऊर्जा मंत्री के झूठे आस्वासन और निगम प्रबंधन के  झूठ से वे धोखे मे आ गए थे | हड़ताल को देखते हुए नए जेई और एई के पदो पर सीधी भर्ती के सवाल पर उन्होने कहा कि विगत 10 वर्षो से नौकरी की  भर्ती नहीं निकालने वाली सरकार इस बार हड़ताल के दबाव मे जो सेधी भर्ती की बात कह रही है उसे नौजवान युवा भी अच्छी तरह से समझता  है की ये सिर्फ धोखा है |

आईएएस लौबी से सामने क्यो है सबकी बोलती बंद ?

निगम प्रबंधन  पर सवाल उठाते  हुए उन्होने कहा कि ये लोग बॅक डोर इंट्री पाये फर्जी अधिकारी  है  जिनकी आईएएस लौबी के सामने बोलती बंद हो जाती है, उन्होने कहा कि इसी आईएएस लौबी के सामने सरकार भी झुकती हुई दिखाई दे रही है | लिहाजा इस बार समझौते की कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही है |

दो तीन मांग भी मान लेते तो नहीं होतो हड़ताल

संघ के अध्यक्ष इलाम सिंह पँवार ने बताया कि हड़ताल करना उनका पेशा नहीं है उन्हे इस बार सरकार ने मजबूर कर दिया है जिसके बाद वे  हड़ताल जैस कदम  उठाने को मजबूर हो गए है इससे आम लोगो को परेसानी  जरूर होगी किन्तु उनके पास इसका कोई विकल्प भी  नहीं है | उन्होने बताया कि 14 सूत्रीय मांग पत्र मे से सरकार 2- 4 महत्वपूर्ण मांग पर भी सहमति दे देती तो वे अपनी हड़ताल को वापस ले सकते थे |

पिछली बार धोखा खाने के बाद जख्मी हुए लोग और जोश खरोस मे विरोध प्रदर्शन के लिए मैदान मे उतरे है |

मोदी से बैर नहीं – उत्तराखंड बीजेपी की खैर नहीं

प्रधान मंत्री  मोदी के उत्तराखंड दौरे को लेकर उन्होने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उन्हे मोदी सरकार से बड़ी उम्मीदे   है किन्तु उन्ही की  सरकार मे दूसरी कतार के नेता ठीक से अपना  काम नहीं कर पा  रहे है |

निगम ने कर्मचारियो की  सेवा निवृत्ति के बाद भी विगत 15 वर्षो से कोई नया कर्मचारी भर्ती नहीं किया जा रहा है और जो कर्मचारी उपनल के माध्यम से काम कर रहे है वे 8- 10 हजार मे अपनी जान से खिलवाड़ कर अपने सेवा दे रहे है | एक तरफ जहा सरकार नयी भर्ती निकालने की बात कह रही है वही विगत 15 वर्षो से उपनल से काम कर रहे बेरोजगारो के भविष्य को लेकर कोई चिंतित  नहीं दिखाई देती है|  आज जब एक मजदूर भी महीने मे 15 से 20 हजार रूपये कमा लेता है, वही  उपनल से लगा हुआ कर्मचारी 8 – 10 हजार मे कैसे अपने परिवार का पालन पोषण करेगा ?

सांसद – विधायको को मनमाना वेतन और पेंशन और कर्मचारी के लिए बाबा जी का ठुल्लू

वित्त की कमी को सिर्फ बहाना बताते हुए उन्होने कहा कि अपने हित  के लिए नियम कायदे बनाने वाले सांसद और  विधायक अपने  लिए वेतन भत्तो मे कोई कटोती नहीं करते है और हर सेकंड रिस्क मे काम करने वालों कर्मचारियो के  लिए बड़ी बड़ी बाते करते है | उन्होने कहा कि हमारी कोई नयी मांगे नहीं है हम तो बस इतना चाहते है कि जो उन्हे उत्तरप्रदेश के समय मे मिल रहा था वही उत्तराखंड बनने के बाद भी कायम रहे |

हर छण हादसे की आशंका के बीच काम करते है बिजली कर्मी

तिलोथ पावर हाउस हाउस उत्पादन के अधिशासी अभियंता अरविंद गौड़ ने बताया कि बिजली विभाग मे काम करने वाले कर्मचारी का जीवन हर समय रिस्क मे रहता है | इंसुरेंस कोंपनी भी बिजली कर्मचारी का समान राशि का बीमा करने पर आम आदमी से अधिक प्रीमियम मांगती है | इसी से जाहीर होता है की बिजली कर्मी आम आदमी से हटकर जीवन जीता है |

धोखे से जबाब मे सिर्फ हड़ताल

जुलाई महीने मे हुए पिछले समझौते मे सरकार ने स्वीकार किया था कि बिजली कर्मियों की मांगे जायज है,  लिहाजा निगम स्तर की मांगो को 15 दिनो  मे और सरकार स्तर की मांगो को एक महीने के अंदर पूर्ण कर लिया जाएगा जबकि दो महीने गुजर जाने के  बाद भी फ़ाइल यहाँ  से वहाँ  नहीं सरक सकी  | उन्होने कहा की उनकी कोई नई मांग नहीं है वे तो बस इतना चाहते है कि सेवा शर्तो मे वर्ष 1970 से जो उन्हे मिलता आ रहा था उसे वर्ष 2017 मे उनसे छीन लिया गया था, वह उन्हे पूर्व कि भांति मिलता रहे |  बिजली कर्मी काम करने वाले कर्मचारी है किन्तु इस बार मजबूरी मे उन्हे हड़ताल जैस कदम उठाना पड़ रहा है |

40 करोड़ का लाभांश चेक डकारने के बाद भी सवाल ?

ऊर्जा मंत्री के बयान पर टिप्पणी करते हुए यसपाल महर अधिशासी अभियंता धरासु ने बताया की निगम कर्मचारियो ने 40 करोड़ के लाभांस का जिक्र करते हुए कहा की कर्मचारी मेहनत और लगन से काम करता है तभी तो सरकार को समय समय पर लाभांस देते रहता है ऐसे मे बिजली कर्मचारी की नीयत और मेहनत  पर सवाल उठाना उचित  नहीं है |   

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