उत्तरकाशी: शीतल सलोनी और मानसी ने ऐसे बचाई बेजुबान की जान

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आज के आधुनिक दौर में जब सड़क में घायल इंसान को भी लोग मदद के लिए आगे नही आते वही पक्षियों के लिए बच्च्यो का प्रेम देखने को मिला। उत्तरकाशी के ज्ञानशू में महर्षि विद्या मंदिर में12 क्लास में पढ़ने वाली तीन सहेलियों शीतल, सलोनी और मानशी ने मानवीय रिश्तों को एक नई ऊंचाई पर स्थापित कर दिया है।

आसमान से अचानक जमीन पर गिरा पक्षी खून से लथपत तड़प रहा था , बिना किसी बात की चिंता किये स्कूली बच्च्यो ने घर जाने की बजाय पक्षी को इलाज देने का निर्णय लिया। देखने में भले ही पहल छोटी लगे किंतु छोटी उम्र में इनबच्चो की सोच से नई पीढ़ी को जरूर प्रेरणा मिलेगी।

मंगलवार को स्कूल की छुट्टी के बाद शीतल अपनी सहेली सलोनी भट्ट और मानशी चौहान के साथ घर की तरफ आ रही थी तभी बिजिली के तार आए करंट खाकर एक बेजुबान पक्षी तड़फता हुआ जमीन पर गिरा, उसके मुंह से खून निकल रहा था और वह बड़ी जोर से तड़प रहा था। बच्चियों की मानवीय भावनाओ ने जोर मारा तो उसने पक्षी को जमीन से उठाया और अपनी सहेलियों से उसे पशु अस्पताल ले जाने का विचार बताया, दरअसल हाथ ने उठाते ही पक्षी ने जो राहत महसूस की उसे बेजुबान शब्दो मे तो नही जता सकता था पर पर घायल शरीर की हरकत बता रही थी कि वह इन बच्च्यो को दिल से दुआ दे रहा था।

घायल पक्षी को लेकर बच्चे पशु अस्पताल आये वहां तैनात डॉक्टर मीनाक्षी ने इसकी प्रारंभिक जांच की और वन विभाग के रेंज अफसर को फोन कर जानकारी दी। बड़ाहाट रेंज के रेंज अफसर रविंदर पुंडीर ने पक्षि को अपने कब्जे में लेकर उसकी देखभाल की और स्वस्थ होने पर बुधवार को उसे जंगल मे उड़ा दिया। उन्होंने बताया कि पक्षी की चोंच में चोट लगने से खून बह रहा था, श्री पुंडीर ने बताया कि यह वाटर बर्ड है जिसे एक दिन वन विभाग में उपचार दिया गया था, उन्होंने बताया कि ज्यादा समय तक इंसान के साथ रहने से पक्षियों की डेथ चांसेज बढ़ जाते है। उन्होंने भी 12 वी में पढ़ने वाली इन तीनो छात्राओं की भावनाओ की तारीफ की है।

वही शीतल ने बताया कि उसे जानकर खुसी हुई कि उन्होंने तड़पते हुए एक जीव की मदद की है और जैसा वन अधिकारी ने बताया कि स्वस्थ होने के बाद उसे छोड़ दिया गया है, बड़ी राहत देने वाली खबर है।

बिना स्वार्थ प्रकृति के साथ इंसान इसी तरह का रिश्ता निभाये तो प्रकृति भी बदले में कुछ न कुछ अच्छा ही लौटा कर देती है।

शीतल और उसकी सहेलियों की इस पहल को बड़े मायने में समझने की जरूरत है।

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