उत्तरकाशी : पालिका से किसकी चल रही समानान्तर सरकार ?

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दो जून की रोटी के जुगाड़ के लिए तेज धूप मे खड़े ये लोग फेरि लगाने का काम करते है इन्हे दिन भर पसीना बहाने के बाद  बच्चो की फीस कमरे का किराया और दवा के पैसे चुकाने है |

 प्रधान मंत्री मोदी के द्वारा गरीब तबके के लिए जारी नियम कानून का इन दिनो उत्तरकाशी मे धड़ल्ले से मज़ाक बनाया जा रहा है | रास्ट्रिया शहरी आजीविका मिशन {एनयूएलएम} के तहत फेरि लगाने वालों को उन्ही  के अधिकारो  से रोका जा रहा है|  एक सप्ताह से इन लोगो को कौन रोक रहा है?   जिले मे बीजेपी विधायक के असमय निधन के बाद किसकी समानान्तर सरकार चल रही है ?  डेली कुआं खोदकर अपने और अपने परिवार का पेट भरने वाले इन छोटे कारोबारियों के दिन आजकल बिना काम के कैसे गुजर रहे है किसी ने नहीं सोचा  ? सड़क मे यातायात सुचारु रहे बाजार मे पैदल चलने की जगह भी रहे इस पर विचार करना भी जरूरी है | सवाल ये है कि फेरि के लिए टाउन वेंडिंग कमेटी के फैसले को दरकिनार कर कौन अपनी सरकार चला रहा है ? पालिका को अपने ही नियम याद नहीं है ? क्या जिला  प्रशासन अपनी हद भूल गया है ?

राज्य नगरीय विकास अभिकरण {सूडा } के अंतर्गत रास्ट्रिया शहरी आजीविका मिशन के एनयूएलएम काम कर रही है , जिसके कई घटको मे से एक प्रमुख शहरी फेरि व्यवसाइयो को सहयोग देना है जिसके अंतर्गत

  1. फेरि के लिए वेंडर ज़ोन चिन्हित किए जाने के लिए टाउन वेंडर कमेटी सर्वे करती है , और यह  तय करती है की कहा कहा फेरि लगाई जा सकती है |
  2. नगर निकाय द्वारा फेरि लगाने वालों को पहिचान पत्र जारी किए जाते है
  3.  फेरि बाजार के  विकास के लिए योजना बनाई जाती है
  4. फेरि व्यवसाइयो को बचत खाता खोलकर बैंक से जोड़ने का काम किया जाता है
  5. जरूरत पड़ने पर कार्यशील पूंजी के लिए बैंक से जोडा जाता है  
  6. कौशल विकास का कार्य
  7. सामाजिक सुरक्षा समन्वयन

जबकि इन दिनो उत्तरकाशी नगर मे इन दिनो इन फेरि व्यवसाइयो को काम करने से ही रोका जा रहा है | पीड़ितो ने बताया कि विगत एक सप्ताह से उन्हे नगर मे कही भी ठेली नहीं लगाने दिया जा रहा है | दरअसल नगर के बीचों बीच रामलीला मैदान की  बिगड़ती दशा को देखते हुए मैदान  से पार्किंग और शब्जी  मंडी को नगर वासियो की पुरजोर मांग और अध्यक्ष नगर पालिका की घोषणा पर खाली करा दिया गया है | इस स्थान को सिर्फ खेल और सांस्कृतिक गतिविधियो के लिए रखा जाएगा |

यहा तक तो ठीक है किन्तु नगर के किसी भी हिस्से मे फेरि न लगाने देने का फरमान आखिर किसने जारी कर दिया | केंद्र सरकार ने कानून पास कर एक गाइड लाइन बनाई है जिसे नगर निकायो को टाउन वेंडर कमेटी के माध्यम से पूरा करना है | टाउन वेंडर कमेटी मे एसडीएम, सीएमओ , पुलिस सीओ , पालिका के जेई आदि बतोर सदस्य सामिल होते है |

 कमेटी मे कुल फेरि व्यवसाइयो की संख्या का 40% फेरि वालों को सदस्य बनाए जाने का प्रविधान है | फेरि लगाने का स्थान तय किए जाने के बाद फेरि के पंजीकरण के लिए कितना शुल्क लिया जाना है ये कमेटी ही तय करती है | एक वर्ष बाद किसको नया पंजीकरण दिया जाना है अथवा किसका पंजीकरण  नवीनीकरण किया जाना है अथवा नहीं ये भी कमेटी ही तय करती है | उत्तराखंड मे यह अधिनियम वर्ष 2016 मे लागू हुआ | उत्तरकाशी मे वर्ष 2108 मे पहली टाउन कमेटी की बैठक हुई और फेरि ठेली के लिया स्थान का सर्वे हुआ |  कुल 125 फेरि के लिए पंजीकरण जारी किए गए उसके बाद कोविड 19 के चलते न तो टाउन कमेटी की बैठक हुई और न पंजीकरण का नवीनीकरण ही हो सका |

ऐसे मे समझ से परे है कि जो अधिकार केंद्र मे पीएम मोदी की  सरकार फेरि लगाने वालों को दे रही है,  उसे कौन और कैसे चैलेंज कर सकता है |

बड़ा सवाल ये है कि टाउन वेंडिंग कमेटी के द्वार तय होने के बाद ही 30 लोगो को रामलीला मैदान मे ठेली अथवा फेरि लगाने की  अनुमति दी गयी थी | अब उन्हे वह से बाहर किया गया है तो उन्हे नया स्थान देने की बजाय नगर मे पूर्व निर्धारित अन्य स्थानो पर भी काम नहीं करने दिया जा रहा है | आखिर कौन है वो,  जो नगर मे बिना कानून अपनी समानान्तर सरकार चला रहा है |

उत्तरकाशी के रामलीला मैदान मे वीरू जन्म के समय से ही फेरि लगाने  का काम करता है, वीरू को ब्लड कैंसर हो गया है और वह अब विस्तर पर जिंदगी और मौत के बीच जूझ  रहा है | वीरू की पत्नी ने एक महीने देहरादून के अस्पतालो मे इलाज कराया पर कोई फायदा नहीं हुआ , अब वीरू फेरि नहीं लगा सकता , दिन भर विस्तर मे पड़ा रहता है, उसके बदले अब उसकी पत्नी ठेला लगाकर  किसी  तरह अपने परिवार का गुजर बसर कर रही थी,  कि उसे भी ठेला नहीं  लगाने के फरमान का शिकार होना पड़ा | चलिये आपको दिखाते  है कि वीरू कहा रहता है और आज उसकी हालत कैसी है |

पालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल को जब वीरू कि बीमारी का पता चला तो उन्होने उसकी पत्नी को ठेला लगाने के आदेश जारी कर दिये |

सवाल ये है कि वीरू को तो ब्लड कैंसर हो गया औरु उसने विस्तर पकड़ लिया तो क्या  अन्य 125 लोग जिन्हे  टाउन वेंडिंग कमेटी ने पंजीकरण दिया  है , उन्हे भी भूख से बिस्तर पकड़ने के बाद ही प्रशासन चेतेगा ? क्या  इस शहर  का कोई  बोलने वाला नहीं है ?  

नगर अतिक्रमण से मुक्त होना चाहिए , इसमें कोई दो रॉय नही है, इसके लिए जड़ से सुधार की जरूरत है शाखा काटने से कुछ दिन बाद फिर उग आएंगी। टाउन वेंडिंग कमेटी पूरे नगर का सर्वे कर यह तय करे कि कितने फेरी वालो को पंजीकरण किया जा सकता है उसी की अनुरूप लायसेंस दे, सर्वे ही गलत होगा तो आवंटन भी गलत होगा, और फिर इस समस्या का समाधान नही हो सकेगा। इसलिए कानून पढ़कर वेंडिंग कमेटी काम करे,सदस्य के तौर पर जिन अधिकारियों को जोड़ा गया है वेअनुचित स्थान  के चयन का विरोध कर सकते है, पर जब बैठक का कोरम ही पूरा नही होगा तो आने वाली पीढ़ी को नित नई दिक्कतों से ऐसे ही जूझना पड़ेगा।

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