उत्तरकाशी
पर्वतो को काट कर सड़के बना देते है वे – बचपन से सुनी इस कविता को जीवन में उतार कर उत्तरकाशी के दीपेन्द्र ने यू tube से जानकारी लेकर बंजर धरती को हरा सोना उपजाने का साधन बना डाला|
आलेन्द्र कैंतुरा चिन्यालीसौड़ |
प्रधानमंत्री मोदी के स्वरोजगार और लोकल वोकल स्लोगन से प्रभावित उत्तरकाशी जिले के श्रीकोट निवासी दीपेन्द्र कैंतुरा ने स्वरोजगार को तो अपनाया पर उन्हें प्रदेश के उद्यान और कृषि विभागों से कोई मदद नहीं मिली | जिसके बाद उन्होंने यू tube को अपना गुरु मानकर मिटटी के साथ प्रयोग सुरु किये | विगत 6 सालो के कड़े अनुभव के बाद अब दीपेन्द्र आसपास के इलाको में मास्टर ट्रेनर की भूमिका में भी नजर आते है | गाव में खली पड़े घरो में मशरूम उत्पादन के साथ ही उन्होंने घर कि छत पर स्ट्राबेरी को उगाना सुरु किया है जिसकी पहली खेप इस बार बाजार में उतरने वाली है | दीपेन्द्र कहते है कि प्रदेश में कृषि और उद्यान विबह्ग सहित उद्योग विभाग में दर्जनों योजनाये संचालित हो रही है जो सिर्फ कागजो का ही पेट भर रही है | अपने संसाधनों से उन्होंने अपने और अपने परिवार के पेट भरने का जुगाड़ कर लिया है पर यदि इसे बड़े स्तर पर व्यापार का रूप देना चाहे तो सरकारी सहयोग की जरुरत होगी | जो फ़िलहाल कही दिखाई नहीं दे रही है