गुरिल्लाओ को सरकारी नौकरी के लिए सत्यापन सुरू – बिचौलियों से सावधान

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क्या सरकार गुरिल्लाओ को सरकारी नौकरी में देने जा रही है?  क्या गुरिल्लाओ  का लंबा संघर्ष रंग लाने जा रहा है?  क्या एक देश में दो कानून की लड़ाई लड़ने वाले एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लाओ  को उनका हक मिलने जा रहा है ?

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यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि गुप्तचर विभाग के द्वारा हर जिले में एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लाओ की लिस्ट भेजी गई है और जिले से unka सत्यापन करने के लिए कहा गया है ।

जैसे ही यह भनक गुरिल्लाओ  को लगी तो वे लिस्ट में अपना नाम देखने के लिए दौड़ पड़े।  उन्हे  हैरानी तब हुई जब लिस्ट में उनके नाम ही गायब थे और ज्यादातर वे लोग सामिल  थे जो अब इस दुनिया में ही नहीं है,  इसके बाद भी  सरकारी नौकरी का लालच इन लोगों को बिचौलियों तक ले आया । बिचौलियों ने उन्हें सरकारी नौकरी दिलाने का  झांसा देते हुए कुछ लोगो से लाखो रुपये एंठ लिए ।

 

संगठन के संज्ञान में जब ए बात आई तो उन्होंने एक सार्वजनिक बैठक बुलाई जिसमें पहले तो खूब गुस्सा छलका लोगों ने आरोप लगाए कि बार-बार संगठन के नाम पर  उनसे पैसे की डिमांड की जाती है ।

आज हालात यह हो गए हैं कि जो एसएसबी प्रशिक्षित गुरिल्लाओ  की लिस्ट प्रशासन को मिली है उसमें वास्तविक लोगो के नाम ही  नहीं है । आलम यह है की उम्र के 50 बसंत देख चुके ये  गुरिल्ला अब पेंशन की उम्मीद से बैठक में तो जरूर आए लेकिन उन्होंने अपना गुस्सा संगठन के पदाधिकारियों के सामने जताने में कोई गुरेज नहीं किया ।

वही संगठन के पदाधिकारियों ने मामला स्पष्ट करते हुए बताया कि कुछ बिचौलिए सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर जरूर लोगों से पैसा लेकर गए हैं,  लेकिन तब उन्हें पैसा देने से पहले गुरिल्लाओ  ने अपने संगठन से नहीं पूछा कि ये लोग है कौन जो नौकरी दिलाने के नाम पर वसूली कर रहे है ।

आखिर कौन है यह गोरिल्ला?  जो आज सड़क पर विधायक से लेकर संसद तक को ललकार रहे हैं?

दरअसल देश में 1962 के चीन युद्ध के बाद सरकार ने बॉर्डर पर बसे गांवो को  सेना की गतिविधिया सिखाकर अपने पूर्वोत्तर  बॉर्डर को और अधिक सुरक्षित करने की योजना बनाई थी ।

जिसके बाद एसएसबी ने अलग-अलग स्थानों पर बार्डर से लगे गाँव के लोगों को युद्ध के समय हथियार चलाने की खास ट्रेनिंग दी जिन्हें बाद मे गुरिल्ला कहा गया ।

फिलहाल हर जिले मे डीएम के माध्यम से ye  गुरिल्ला उत्तराखंड और भारत सरकार को ज्ञापन भेज कर गाँव और ब्लौक स्तर पर गुरिल्लाओ  की लिस्ट उनके बैच नंबर और ट्रेनिंग के आधार पर तैयार करवाने की मांग कर रहे है और यदि  सरकार ने इसके अनुरूप काम नहीं किया तो गुरिल्ला 2024 के चुनाव से पहले आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिखाई दे रहे हैं

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