विधान सभा बॅक डोर भर्ती का जो जिन्न ऋतु खंडुरी ने बोतल से बाहर निकाल दिया है उसे फिर से बोटेल मे बंद करने मे अब प्रदेश सरकार को पसीने छुट गए है । अवैध भर्ती को लेकर अधूरे न्याय को लेकर जहां
कुछ लोग सड़क पर आंदोलन कर रहे है वही प्रदेश मे दो प्रमुख राजनैतिक दल बयान बाजी कर अपनी कमीज दूसरे से साफ दिखाने मे जुट गए है। कही ऐसा तो नहीं कि कोयले की दलाली मे सब काला ही काला है और आम लोगो को तो रंग के छींटे भी नसीब नहीं हुए ?
बैक डोर भर्ती आखिर किन लोगो की हुई ?
जो पैसे से मजबूत थे ?
जिनके संपर्क मंत्री और बड़े नेताओ से थे ?
क्या सिर्फ बीजेपी ही दोषी है या काँग्रेस भी मिलकर खिचड़ी पका रही थी ।
तभी तो 22 साल तक गड़बड़ी होती रही और धृत रास्त्र आंखो पर पट्टी बांधे रहा ?
पहले काँग्रेस को आँख दिखाने वाली बीजेपी से काँग्रेस के कर्ण करन माहारा बड़े तीखे सवाल पूछ कर खुली बहस की चेतावनी दे रहे हैं ।
बीजेपी के सामने क्या संकट गहरा गया है ?
नैतिकता के सवाल पर क्या भारतीय जनता पार्टी और उसकी सरकार घिर गई है?
क्या कांग्रेस इस मामले को उठा कर खुद को फ्रंट पर ला पाएगी या फिर कांग्रेस के लिए भी नैतिकता उसके लिए गले की हड्डी बन जाएगी?
सवाल महेंद्र भट्ट से हैं क्योंकि प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी के वहीं हैं और निशाना अब महेंद्र भट्ट पर ही साधा जा रहा है , उनसे ही सवाल पूछे जा रहे हैं और चुनौती खुले में बहस तक की करने की की जा रही है । भारतीय जनता पार्टी मौजूदा वक्त में बंपर बहुमत के साथ सत्ता में तो है लेकिन जिस मसले पर सरकार घिरी हुई है वह है विधानसभा में बॅक डोर भर्ती
बैक डोर भर्ती के जरिए विधानसभा में किस नेता के कितने करीब लगे हैं ?कितने रिश्तेदार लगे?
इसे लेकर बार-बार चर्चा होती रहती है और अब जब सुप्रीम कोर्ट ने भी विधान सभा अध्यक्ष के फैसले पर फरमान जारी कर भर्तियो को अवैध घोषित कर दिया है । तो कुछ कर्मचारी धरने पर बैठे गए हैं अब ऐसे में कड़ाके की शर्दी के बीच सियासी तापमान भी बढ़ गया है कांग्रेस जहां बीजेपी को घेर रही है और नैतिकता का पाठ क्योंकि पहले महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस को पढ़ाया था यशपाल आर्य को हटाने की मांग की थी, उनसे इस्तीफा मांगा था , नेता प्रतिपक्ष के पद से क्योंकि वे भी विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं । इसलिए अब तक तकरार हो रही है।
कौन किसे नैतिकता का पाठ पढ़ाएगा और कौन नहीं इसे समझने की जरूरत है ।
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नैतिकता पर दोनों दलो का अपना-अपना तर्क है, अपना-अपना तकाजा है लेकिन संकट है कि 228 कर्मचारी जो विधानसभा से बर्खास्त किए गए हैं उनके सामने सवाल ये है भविष्य का उनका क्या होगा
क्या 22 सालो से जो गड़बड़ी होती रही उस पर माफी मांग कर आगे गलती नहीं करेंगे ऐसा हो सकता है ? क्या 2016 से पहले अवैध भर्ती वाले भी घर बैठेंगे ?
इन्हे फर्जी नौकरी देने वालों पर क्या कार्यवाही होगी ?
ये कुछ बड़े सवाल है उत्तराखंड मे राजनीति मे बीजेपी और काँग्रेस का भविष्य तय करेंगे ।
सवाल इस वक्त बीजेपी से ज्यादा पूछे जाएंगे क्योंकि वह सत्ता में हैं , मगर बीजेपी तमाम सवालों को बाईपास करना चाहती है । बीजेपी जब यशपाल आर्य विधानसभा अध्यक्ष से तब के मामले उठाकर उनसे इस्तीफा मांग रही है, उन पर कार्यवाही की बात कर रही है लेकिन मौजूदा हालात में यह साफ लग रहा है कि ना तो बीजेपी प्रेमचंद अग्रवाल पर कार्रवाई करने वाली है और न हीं कांग्रेस , यानी एक दूसरे पर खेल खेल मे गेंद उछाली जा और जनता सीटी बजाने मे ही खुस हो रही है । पड़ेगा