इस बार विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने ऐसा क्या किया कि उत्तराखंड की सियासत में सवालों का सिलसिला एक बार फिर से चल पड़ा है । रितु खंडूरी ने ऐसा कौन सा कदम उठाया है जिसके बाद उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में हलचल भी बढ़ गई है, बेचैनी भी बढ़ गई है । रितु खंडूरी ने ऐसा कौन सी गूगल फेंकी है जिसमें मुख्यमंत्री धामी उलझ कर रह गए हैं।
रितु खंडूरी की इस गुगली के बाद सीएम धामी का संकट बढ्ने वाला है निगाहें अब धामी की तरफ उठने लगी है की अब वे इसमे क्या निर्णय लेने वाले है ।
स्पीकर ने सवाल की जो गूगली फेंकी है जरा उसे समझ लेते है दरअसल रितु खंडूरी ने विधानसभा में भर्ती को लेकर विवाद के सिलसिले में एक चिट्ठी सरकार को लिखी है, मुख्यमंत्री धामी को लिखी है और पूछा है कि राज्य गठन के बाद जितनी भर्तियां विधानसभा मे हुई हैं, उनके बारे में आगे उनका क्या करना है, क्योंकि 228 कर्मचारियों को स्पीकर ने पहले ही नौकरी से निकाल दिया है जो उत्तराखंड में 2016 के बाद से भर्ती हुए थे, और अब अधूरे न्याय को लेकर कर्मचारी पूरा न्याय की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए है और अब बाकी बचे हुए कर्मचारियो को भी हटाने के लिए निर्णय लेने कि बात आ रही है, तो सुनते है कि ड्ताइली कर्मचारी जो पिछले एक महीने से धरने पर बैठे है क्या कह रहे है ।
स्पीकर ने ये गुगली सीएम धामी कि तरफ डाल कर मुख्यमंत्री धामी की मुस्किले बढ़ा दी है अब धामी और उनके सरकार क्या करेगी यही बड़ा सवाल है । इस दौरान जो कर्मचारी नौकरी से निकाले गए हैं और धरने पर बैठे हैं इस को लेकर उनका अपना अलग नजरिया है
कठपुतली के माध्यम से 228 कर्मचारी क्या कहना चाहते हैं? आखिरी ये कठपुतली है कौन ? क्या इस माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष पर तंज कसा जा रहा है?
जिन 228 कर्मचारियों को स्पीकर ने विधानसभा कि नौकरी से निकाला है उनका धरना लगातार जारी है। 30 दिन से ज्यादा का वक्त हो चुका है उनकी मांग रही है कि अधूरा न्याय न हो पूरा न्याय हो यानी 2016 से पहले जो भर्तियां हुई है उनकी भी जांच हो उन पर भी कार्यवाही हो, तो स्पीकर ने एक कदम जो बढ़ाया है , विधिक राय सरकार से मांगी है कि इन कर्मचारियों का क्या करना है जो 2016 से पहले विधानसभा में भर्ती हुए हैं ? क्योंकि यह कहा जा रहा है कोटिया कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी नियुक्ति एक ही प्रक्रिया के तहत हुई हैं तो अब सीएम क्या फैसला लेंगे ?
इस दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत ने भीबीजेपी सरकार पर तंज़ कसा है उन्होने लिखा है कि सिर्फ तालियां बजाने के लिए जो निर्णय लिए जाते है तो उसका परिणाम सबके लिए कष्टकारी होता है और ईश्वर के दरबार में आंसू प्रभाव डालते हैं
2016 से पहले लगे कर्मचारियो को हटाने के लिए इतना लंबा समय और 2016 के बाद वालों को हाइ कोर्ट के फैसले के बाद भी तत्काल निर्णय ? तो क्या बीजेपी सरकार मे सीएम अपने ही स्पीकर की गूगली से असमंजस मे आ गए है