यमनोत्री में फिर आपदा से तबाही।
गुस्से में पंडा- पुरोहित समाज।
केदारनाथ की तर्ज पर स्थायी मास्टर प्लान से निर्माण की मांग।
गरुड़ गंगा के पास हैलीपैड निर्माण और मंदिर के ऊपर त्रिवेणी में बनी झील के उपचार की रखी मांग।
लीपापोती के कार्यो से नाराज हैं पुरोहित।
गिरीश गिरीश गैरोला
तो क्या यमनोत्री के ऊपर यमुना में बनी झील टूटने से आई इस बार की आपदा? यमनोत्री के तीर्थ पुरोहित पवन उनियाल की माने तो यमुना पर त्रिवेणी झील टूटने से 16 जुलाई की रात दो बजे फिर से धाम पर आपदा टूट पड़ी। वर्ष 2004 में आपदा के दौरान 6 लोगो की जान चली गयी थी, वर्ष 2007 में भी यमुना के किनारे बनी झील के टूटने से आपदा आयी, 2013 में केदारनाथ आपदा के साथ भी यमनोत्री ने जख्म देखे और चौथी बार 16 जुलाई रात को एक बार फिर त्रिवेणी झील के टूटने से धाम में नुकसान हुआ। पुरोहितों की मानें तो हर आपदा के बाद लीपा पोती के काम कर यात्रा फिर से सुरु कर दी जाती है किंतु इस बार ऐसा नही होगा। उन्होंने जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार के समक्ष धाम में केदारनाथ की तर्ज पर हैलीपैड निर्माण कर एमआई सीरीज के बड़े हैलीकॉप्टर से निर्माण की बफ़ी मशीन उतार कर मास्टर प्लान से यमनोत्री धाम में पुनर्निर्माण कार्य सुरु करने की मांग की है।
वर्ष 2004 से अब तक चार बार आपदा से यमनोत्री धाम के बनने और बिगड़ने पर शासन प्रशासन की लीपापोती की नीति से नाराज पुरोहितों का गुस्सा इस बार उबल पड़ा है। तीर्थ पुरोहित पवन उनियाल ने बताया कि इस बार उन्होंने केदारनाथ की तर्ज पर मास्टर प्लान से निर्माण की स्वीकृति के बिना यात्रा नही चलाने दी जाएगी। गौरतलब है कि सोमवार 16 जुलाई की रात को यमुना नदी में आये उफान से यमनोत्री धाम को खासा नुकसान हुआ है।
मानसून की वर्षा के बाद यमनोत्री धाम में हुई जल प्रलय के बाद मंदिर से जुड़े पंडा समाज के लोग बेहद नाराज है। सोमवार की रात को भारी वर्षा के बाद हुई तबाही के बाद मंदिर का ढांचा मात्र ही शेष रह गया है , जबकि 4 समिति की और 4 निजी कुल 8 दुकानों के साथ स्नान घर भी मलवे की चपेट में गए है। मंदिर को जोड़ने वाली पुलिया भी बह गयी और कई जगह नदी के किनारे पर कटाव हो रहा है।
मंदिर के तीर्थ पुरोहित पवन उनियाल ने यमनोत्री की उपेक्षा को लेकर बेहद नाराजगी दिखयी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 के बाद से यह चौथी आपदा है किन्तु हर बार वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर उन्हें बेवकूफ बनाया जाता है, लिहाजा इस बार वे स्थायी समाधान होने तक यात्रा सुरु नही होने देंगे । उन्होंने कहा कि गरुड़ गंगा घोड़ा पड़ाव के पास हैलीपैड की मांग वर्षो से की जा रही है, जहाँ पर एमआई हैलीकॉप्टर उतार कर केदारनाथ की तर्ज पर बड़ी मशीन उतार कर निर्माण कार्य सुरु किया जाना चाहिए । इसके साथ ही यमनोत्री मंदिर से आधा किमी दूर त्रिवेणी में खतरा बनी हुई झील को भी मशीन से खोला जाय। इसके बाद यमनोत्री धाम में केदारनाथ की तर्ज पर मास्टर प्लान से निर्माण किया जाय। उन्होंने कहा कि इस बार वे किसी भी हालत में प्रशासन द्वारा लीपापोती को नकार कर स्थायी उपचार की मांग रखेंगे।
गौरतलब है कि यमनोत्री धाम में आपदा से नुकसान की सूचना के तुरंत बाद डीएम आशीष कुमार और एसपी ददन पाल मौके के लिए रवाना हो गए थे।