कब होगा पुनर्वास?

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*आज बडवानी में सैकडो परिवारों ने कारजा चैराहे से कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकाली गई।*
*कलेक्टर कार्यालय 4 घण्टे तक घेराव किया गया था।*
*कलेक्टर महोदय अमित तोमर जी, एडीएम अभयसिंह होगरिया, तहसीलदार राजेश पाटीदार व आंदोलन के कार्यकर्ता सीधा संवाद किया गया।*

आंकित तिवारी

सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित बडवानी जिले के 65 गांव डूब प्रभावित हो रहे है। जिनका आज भी कानूनी पुनर्वास नहीं हुआ है। इसके लिए 38 पुनर्वास स्थलों का निर्माण नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा किया गया है।
सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित गांव पिछोडी, अवल्दा, बीजासन, अमलाली, भीलखेडा, राजघाट कुकरा, कसरावद, कुण्डिया, बगुद, पिपलुद, खेडी, धनोरा, छोटा बडदा, चैनपुरा, विश्वनाथखेडा, चिचली, सौन्दुल, भवती, भादल, ब्राहम्णगांव इत्यादि के प्रतिनिधीयों के द्वारा कलेक्टर का पूरी हकीगत बतायी गई थी।


इसके साथ आदंोलन की नेतृत्व मेधा पाटकर व राहुल यादव ने कहा कि आज भी नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, सर्वोच्च अदालत फैसले 2000,2005,2017, म.प्र. राज्य की पुनर्वास नीति व म.प्र. नर्मदा घाटी विकास विभाग के आदेश 05 जून 2017 से 2018 तक कई सारे आदेशों का पालन आज तक नहीं किया गया है।
2/ आज भी 30 हजार से अधिक परिवार डूब क्षेत्र में निवासरत् कर रहे है, जैसे बडवानी, धार, अलीराजपुर, खरगोन जिले के विस्थापित है।
3/ आज भी बडवानी जिले के सैकडो परिवारों को सर्वोच्च अदालत फैसले 08 फरवरी 2017 के अनुसार 60 लाख रू व 15 लाख रू. की पात्रता होते हुए भी आज भी लाभ नहीं दिया गया है।

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4/ आज भी सर्वोच्च अदालत फैसले 08 फरवरी 2017 के अनुसार सभी पुनर्वास स्थलों पर जून 2017 तक सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करना था, जो नहीं किया गया है, इसके बाद आंदोलन के द्वारा शिकायत निवारण प्राधिकरण के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत कर शिकायत दी गई थी, इसके बाद कोई सुनवाई नहीं हुई थी, उसके बाद म.प्र. उच्च न्यायालय खण्डपीठ इंदौर रिट याचिका दाखिल कर आदेश दिया गया था कि शिकायत निवारण प्राधिकरण दोनो प़क्षों की सुनवाई कर आदेश पारित करें। इसके बाद 28/11/2017 को शिकायत निवारण प्राधिकरण के द्वारा समय सीमा में जून 2018 तक मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करना था, जो आज तक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा नहीं किया गया है।
5/ आज भी पात्र परिवारों को मकान बनाने के लिए 5.80 लाख रू. की पात्रता होते हुए लाभ नहीं दिया गया है।
6/ आज भी बडवानी जिले के हजारों परिवारों का घर प्लाॅट मिलना बाकी है।
7/ म.प्र. नर्मदा घाटी विकास विभाग के आदेश 05 जून 2017 के अनुसार जिन विस्थापितों को 2 हेक्टर जमीन के बदले विशेष पुनर्वास अनुदान की 5.58 लाख की पात्रता होते हुए उसको 15 लाख रू. की पात्रता दी गई थी, परन्तु आज तक कई सारे परिवारों का 15 लाख रू. नहीं मिला हैं।
8/ आज भी कई सारे परिवारों को डूब क्षेत्र में निवासत् कर रहे ऐसे परिवारों का 5.80 लाख रू नहीं मिला है।
9/ आज भी 05 जून 2017 के आदेश अनुसार जिन विस्थापितों ने घर प्लाॅट के बदले 50 हजार रू. का भुगतान किया गया है, उसे भी एक तिराई घर प्लाॅट की पात्रता होते हुए भी हजारों परिवारों का घर प्लाॅॅट मिलना बाकी है।
10/ म0प्र0 षासन नर्मदा घाटी विभाग के आदेष 05 जून 2017 के अनुसार डूब क्षेत्र में निवासरत् पात्र विस्थापित परिवार एवं वह अन्य परिवार जिसके पास डूब क्षेत्र के बाहर पक्का मकान नहीं है और वास्तविक रूप से विस्थापित हो रहे है, उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत पात्रता अनुसार मकान बनाने की योजना में ष्षामिल किया जा कर मकान बनाने हेतु योजना अंतर्गत राषि उपलब्ध कराई जायेगी। जो परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना पात्र नहीं होगे उन्हें सरदार सरोवर परियोजना के मद से राषि उपलब्ध की जायेगी, लेकिन संपूर्ण योजना का संचालन ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत मकान बनाने के लिएः-
अ. जिन परिवारों के पास पहले से प्लाॅट नहीं हैं उन्हें पुनर्वास स्थल अथवा समीप के गांव की आबादी में 180 वर्गमीटर का भूखण्ड दिया जावेगा। यह कार्यवाही जिला कलेक्टर के अंतर्गत की जायेगी।
ब. सरदार सरोवर परियोजना जिन्ह विस्थापित परिवारों ने पूर्व में प्लाॅट के पूर्व में प्लाॅट के बदले 50 हजार रू. लिये उन्हें उपलब्धता अनुसार पुनर्वास स्थल अथवा समीप के गांव की आबादी 180 वर्गमीटर भूखण्ड दिया जायेगा।यह कार्यवाही जिला कलेक्टर के अंतर्गत की जायेगी।
स. पुनर्वास स्थल पर यदि समतल करना आवष्यक होगा तो नर्मदा घाटी विकास विभाग समतलीकरण अथवा इस कार्य के लिए विस्थापितों को 20 हजार रू. की राषि दी जायेगी। राषि प्रदान की कार्यवाही जिला कलेक्टर के अंतर्गत की जायेगी।
11/ नर्मदा किनारे के गांवों में जितनी भी दुकाने, कारीगरी, उद्योग, सांस्कृतिक, सामाजिक स्थल इत्यादि सेवाएॅ है, वे सभी नये पुनर्वास स्थलों पर होना नर्मदा ट्रिब्यूनल के फैसले अनुसार जरूरी है। इन दुकानदार सेवाकर्ताओं की आजीविका प्रभावित होने से वैकल्पिक आजीविका के लिए सहायता देना, म0प्र0 की पुनर्वास नीति (कंडिका 8.11) एवं एक्सन प्लान 1993 (जिसे सर्वोच्च अदालत के 2000 के फैसले में आधार माना गया है,) उसके अनुसार जरूरी है। मात्र 33000/- या 49000/- के अनुदान से क्या होगा? खेतीहरों को जमीन वैसे ही इन सबको दुकान/व्यवसाय के लिए प्लाॅट देना जरूरी है।
कई गांवों के आधे या पूरे दुकानदारों के सर्वेक्षण हुए है लेकिन उन्हें प्लाॅट नहीं दिये है, जो कि त्वरित होना आवष्यक है, अन्यथा उनका पुनर्वास पूरा नही माना जा सकता है।
12/ म0प्र0 शासन के 2017 के आदेषों के पालन अनुसार:-
1ण् घर प्लाॅटों की रजिस्ट्री बाकी है इस कारण अंधाधुंध परिवर्तन हो रहा है। तत्काल रोके… केवल अपवादात्मक लाभ प्रकरण छोड़कर।
2ण् घर प्लाटों का समतलीकरण कई प्लाॅटों में बाकी है।
3ण् हर किसी घरप्लाट आवंटित किये परिवार को रू 5.80 लाख देना ही आदेष था। 28 मई 2019 को यही निर्णय अधिकृत होकर जाहीर हुआ हैं। वही करना न्यायपूर्ण होगा क्योंकि कई, गरीबों ने, भी मकान निर्माण के लिए पहले ही लाखों रू खर्च किया है और मकान का मुआवजा सालों पहले, काफी कम दिया गया था। इसलिए कर्ज भी लिया हैं।
4ण् कुम्हारों को, प्रत्येक परिवार को 1.5 एकड़ जमीन देना और केवटों को नाव-घाट पर अधिकार का पटटा देना जरूरी है। वह भी त्वरित।
5ण् मत्स्य व्यवसाय सहकारी समितियों के द्वारा गठित (प्रस्तावित) मत्स्य संघ ने सरदार सरोवर जलाषय पर, नीति अनुसार हक चाहा है, जो देना बाकी है। मंत्रिमंडल से नीतिगत निर्णण हुआ है, यह जानकारी है तो त्वरित निर्णय जरूरी है। मत्स्य व्यवसाय सह. समितियों को (सभी सदस्यों को) प्रषिक्षण, बीज संचय, केज कल्चर आदि त्वरित शुरू हो, यह मांग है।
आप जानते ही है कि टिनषेड, भोजन और चारा षिविर पर करोड़ों रू व्यर्थ खर्च हुये हैं, और भ्रष्टाचार भी हुआ हैं। इस अस्थायी पुनर्वास की व्यर्थता समझकर, आपने इस साल राहत पर, टिनषेड रिपेयरिंग पर कोई टेंडर या खर्च करना जरूरी नहीं हैं। कृपया स्पष्ट निर्णय लिया जाय, यही आग्रह हैं।
पुनर्वास स्थलों पर सुविधाओं का कार्य 2017 के आदेष अनुसार जून 2017 तक पूरा होना था। फिर उच्च न्यायालय के आदेष के बाद षिकायत निवारण प्राधिकरण ने 28.11.2017 को समयबद्व कार्य का आदेष दिया। आज तक कार्य अधूरा हैं, भ्रष्टाचार भी दिखाई दे रहा हैं, प्लाट आवंटन सहित निर्माण कार्य में गड़बड़ी हैं।

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