आग लगाने के इरादे से रिजर्व वन में पाए गए तो जुर्माने के साथ जेल

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वन अधिनियम में दिए गए प्राविधानो के अनुसार वन कर्मी चालान काटने लगे तो पुलिस थानों से ज्यादा भीड़ फारेस्ट कि चौकी में नजर आने लगेगी | जंगल में आग लगाने के उद्देश्य से यदि कोई माचिस लेकर रिजर्व वन में प्रवेश करे तो उस पर इंडियन फारेस्ट एक्ट की धारा 26 और वाइल्ड लाइफ एक्ट की धारा 51 के अंतर्गत आपको 2 से लेकर 7 साल की सजा हो सकती है | आमतौर पर वन विभाग ऐसे मामलो में जल्दी से चालान नहीं करता है किन्तु बिगत कुछ समय से इंसानी गलती से लाखो करोडो की वन सम्पदा के साथ जंगली जानवरों का जो नुकसान हो रहा है उसके बाद से महकमे ने कुछ लोगो को सबक सिखाने का मन बना लिया है |

वनों में आग लगाने वालों की अब खैर नही। वन विभाग उत्तरकाशी द्वारा जंगलों में आग लगाने वाले असमाजिक शरारती तत्वों के खिलाफ सीधे वन अधिनियम के अंर्तगत मुकदमा दर्ज करवा रही है। बीते दिनों गंगोरी जंगलों में आग लगाने वाले शरारती तत्वों के खिलाफ वन महकमें द्वारा पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। तथा आगे भी शरारती तत्वों के खिलाफ यह अभियान जारी रहेगा।इस आशय की जानकारी डीएफओ श्री दीपचंद आर्य व आपदा प्रबंधन अधिकारी श्री देवेंद्र पटवाल ने दी।

प्रभागीय वनाधिकारी DC आर्य ने कहा कि वन पारिस्थितिकीय तंत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है। वनों के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है l मानव जीवन का जन्म से मृत्यु तक, वनों से अटूट सम्बन्ध है वन पारिस्थितिकीय तंत्र का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है l वनों के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है l वनों से हमें शुद्ध जलवायु इमारती एंव जलौनी प्रकाष्ठ, औषधीय व अन्य विभिन्न उपयोग की वस्तुएं प्राप्त होती है l

वर्तमान में वातावरण में नमी की कमी व असावधानी के कारण वनों में अग्नि दुर्घटनाएं हो रही है जो मृदा क्षरण, भूस्खलन वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत हानिकारक है l

प्रभागीय वनाधिकारी श्री आर्य ने जन सामान्य से अपील की है कि खेतों, वनों एंव ग्रामों के आसपास आग न लगाएं अन्य किसी के प्रयोजन के उद्देश्य से लगाई गई आग को अच्छी तरह से बुझा दें । जिससे वह आग जंगलों की और न फैले।वनों एवं वन्यजीवों व पर्यावरण की रक्षा करना हमारा नैतिक संवैधानिक दायित्व है वनाग्नि रोकने में सहयोग करें, प्रशासन वनाग्नि की घटनाएं रोकने हेतु प्रतिबंध है l वनाग्नि की घटनाओं में दोषी पाए जाने पर भारतीय वन अधिनियम 170 की धारा 26 के अंतर्गत दंडनीय गैर जमानती अपराध है जिसके अंतर्गत 2 वर्ष तक की सजा या पांच हजार तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं l

     

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