कड़कती ठंड मे भी अर्धनग्न होकर घास की खास पहनावे के साथ नृत्य करते ये उत्तरकाशी जिले मे सरनौल गाँव के पांडव है जिनकी नृत्य कला को देश की राजधानी दिल्ली मे भी सम्मान मिल चुका है ।
उत्तरकाशी जिले की यमुना घाटी मे सरनौल गाँव के पांडव लीला प्रदेश ही नहीं देश भर मे प्रषिद्ध है । घर गाँव मे सुख समृद्ध की कामना के साथ जिस तरह 9 दिन का देवी दुर्गा का पाठ नवरात्र के मौके पर किया जाता है ठीक उसी तर्ज पर यमुना घाटी मे सरनौल के पांडव अपनी खास याद के लिए बिखयात है । ग्रामीणों की माने तो भादों मंगसीर और फागुन के महीने मे गाँव मे पांडव लीला का आयोजन किया जाता है । आम तौर पर ये कार्यक्रम सामूहिक होता है और गाँव के सभी लोग इसका खर्च उठाते है लेकन कभी कुछ लोग अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए निजी तौर पर भी पांडव लीला का आयोजन करवाते है ।
पांडवो का देवांस जिन ग्रामीणों पर आता है वे खास तरह की घास की ड्रेस पहनते है , नृत्य करते है और भट्टी मे सुर्ख लाल गरम सब्बल को अपनी जीभ से चाट कर शक्ति प्रदर्शन करते है । मान्यता है कि पांडव लीला के आयोजन के बाद गाँव मे सुख शांति और समृद्ध आती है ।