पहाड़ी महिला हाय तेरी यही कहानी – जंगल मे पैर फिसला – 15 किमी डंडी का सफर

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जंगल में घास लेने गई महिला चट्टान से गिरकर हुई गंभीर रूप से घायल।

चमोली।

“लँगड़े घोड़े और टूटी हुई तलवार किसी काम की नहीं’  पुरानी फिल्मों मे खल नायक का ये डायलोग आज भी पहाड़ मे विकास की रीड मनी जाने वाली महिला पर लागू होता है | यहा कामकाजी महिला का तब तक ही सम्मान और जरूरत है जब तक वह काम काज करती रहे | इसी कम के दौरान हादसे का शिकार होने पर उसकी बदकिस्मती सुरू हो जाती है | सोमवार को जंगल मे पैर फिसलने से खाई मे गिरी  महिला को पहाड़ी मार्ग पर महिलाओ ने डंडी की मदद  से किसी तरह सड़क मार्ग तक पहुचाया|

सोमवार फारकोट के जंगल में घास लेने गई तुनेडा गांव की महिला चट्टान से गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गई। ग्रामीणों ने 15 किमी पैदल चलकर घायल महिला को पहले नलगांव सडकमार्ग तक पहुंचाया और वहां से वाहन से रूद्रप्रयाग अस्पताल पहुंचाया है।

विकास खंड नारायणबगड़ के ग्राम पंचायत तुनेड़ा की दीपा देवी पत्नी धिरेन्द्र सिंह उम्र 32 वर्ष सुबह घास लेने फारकोट के  जंगल गयी कि अचानक घास काटते वक्त वह चट्टान से गिर पड़ी और बुरी तरह घायल हो गई है । इस दुर्घटना में महिला के पांव की हड्डी  टूट गई। उसके साथ की दूसरी महिलाओं ने घटना की फोन से सूचना गांव तक पहुंचाई, सूचना पर  गांव के महिला और पुरुष घटनास्थल की ओर भागे । फारकोट के जंगल से ग्रामीण किसी तरह से घायल महिला को नलगांव-कफारतीर मोटर मार्ग तक लाए। किंतु फारकोट से नलगांव तक अतिवृष्टि के कारण मार्ग क्षतिग्रस्त हुआ  है,  जिस कारण ग्रामीणों ने डंडी के सहारे महिला को 15 किलोमीटर पैदल नलगांव पहुंचा कर वहां से रूद्रप्रयाग चिकित्सालय पहुंचाया। घायल महिला को अस्पताल पहुंचाने के कार्य में पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी सहयोग किया।

ग्रामीण लखपतसिंह रावत कहते है – घायल महिला को जंगल से 15 किमी डंडी से पहुचाना पड़ा बिना सड़क के गाव मे पुरुष रोजगार के लिए पलायन कर गए है ऐसे मे महिलाओ ने हाथ बंटा कर महिला को सड़क मार्ग तक पहुचाया

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