ऐसे ही बल्लियों के सहारे पार होती है नदी और नाले – सरकार ने नहीं सुनी तो तैयार कर लिया जुगाड़

Share Now

जोशीमठ ब्लॉक के अरोसी गांव के लोगों ने सरकारी तंत्र को आईना दिखाते हुए अपने श्रम बल संसाधनों से कल्प गंगा पर वैकल्पिक पुल बनाकर आवाजही सुरू कर दी है | उर्गम घाटी के करीब आधा दर्जन गाँव की लाइफ लाइन इस पुल के तैयार होने के बाद चारो तरफ चर्चा हो रही है | 11 अगस्त को भारी बारिश के बाद अरोसी गाँव का एकमात्र पुल आपदा की भेंट चढ़ गया था
ग्रामीणों ने अपने संसाधनों से मात्र 7 दिन में लकड़ी का ये अस्थाई पुल का जुगाड़ तैयार
दिखा दिया ।

दो बल्लियों पर जानवरो की तरह हाथ और पैरो के सहारे नदी को पार करने वाले ये लोग किसी सर्कस के कलाकार नहीं, बल्की जोशीमठ से लगे उर्गम घाटी के ग्रामीण है और ये इनकी दिनचर्या मे सामिल है | सूबे के सीमांत चीन सीमा से लगे जिले का विकास लकड़ी की खपच्चियों पर झूल रहा है,आप खुद इन तस्वीरों को देख अंदाजा लगा सकते है,ये दर्द बयां करता है जोशीमठ विकासखंड के अरोशी गाँव के लोगों को हर दिन इस तरह के खतरों से खेलना पड़ता है,लेकिन लगता है शासन प्रशासन और क्या नेता किसी को इन मजबूर ग्रामीणों की फिक्र नही है,आप देख सकते है कि किन हालातो मे ग्रामीण जान जोखिम में डालकर उर्गम घाटी की इस उफान भरी कल्पेश्वर गंगा को पार कर रहे है।

यहाँ के मेहनतकश ग्रामीणों ने अपनी मेहनत और सीमित संसाधनों के बलबूते इस उफनती कल्प गंगा नदी पर लकड़ी का कच्चा पुल तैयार करके गाँव के लोगों का आवागमन को सुचारू किया है। बता दें की छेत्र में हुई भारी बारिश के कारण कल्पेश्वर गंगा पर बना हुआ पुल बह गया था जिसके बाद वहां से गुजरना बहुत मुश्किल हो गया,गांव के कुछ लोगों ने नदी पर पुल बनाने का फैसला किया और सभी ने मिलजुल कर एक कच्चे पुल का निर्माण किया पुल बनाने में गांव के गुडवीर सिंह, धर्म सिंह पवार ,धर्म सिंह चौहान, प्रेम सिंह चौहान, भूपी चौहान ,भरत सिंह चौहान ,हरीश पवार, यशवंत नेगी, मोहन नेगी ,कुदाल सिंह ,मातबर सिंह, हर्षवर्धन सिंह आदि ने एकता में बल कहानी को सच साबित कर सिस्टम को बता दिया है कि काम करने की इच्छा शक्ति हो तो कुछ भी किय्या जा सकता है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!