प्रदेश प्रधान संगठन चुनाव में टिहरी, पौड़ी व देहरादून जिलों की अनदेखी।
त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रमुख तीन अंग ग्राम प्रधान क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग होते हुए इनके प्रदेश कार्यकारिणी के चुनाव बायलॉज ना होने के चलते विवादों के घेरे में आ रहे हैं । क्षेत्र पंचायत सदस्य के प्रदेश संगठन में विवाद के बाद अब ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी विवाद सामने आने लगे हैं। टिहरी जिले के ग्राम प्रधान जिला संगठन के अध्यक्ष रविंदर राणा ने बताया कि कोविड-19 के चलते प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को 2 सप्ताह टालने की सहमति बनी थी, इसके बावजूद आनन-फानन में बगैर सदस्यों को सूचना दिए और विश्वास में लिए ही स्वयंभू प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर दी गई, जबकि पौड़ी और देहरादून जैसे महत्वपूर्ण जिलों में अभी तक जिला अध्यक्ष की घोषणा भी नहीं हुई है। कुल मिलाकर गढ़वाल मंडल के 7 जिलों में से 5 जिलों के अध्यक्ष , चुनाव में शामिल ही नहीं हुए रुद्रप्रयाग हरिद्वार और टिहरी जिले के जिला अध्यक्ष इस चुनाव में शामिल ही नहीं हुए सके बावजूद भी अध्यक्ष की घोषणा कर दी गई
रविवार गैरसैंण चमोली में आयोजित उत्तराखंड ग्राम प्रधान संगठन कार्यकारिणी के चुनाव की बैठक में जिलाध्यक्षों की उपेक्षा की गई, जनपद टिहरी गढ़वाल का प्रतिनिधित्व करने गए जिलाध्यक्ष रविन्द्र सिंह राणा , जिला उपाध्यक्ष गब्बर नेगी,सचिव संदीप रावत, संरक्षक मोहन डोभाल को चुनाव में शामिल ही नहीं होने दिया, गौरतलब है कि ग्राम प्रधानों द्वारा इस चुनाव को कॉविड-19 को देखते हुए दो सफ्ताह स्थगित करने का सुझाव दिया गया था, बावजूद इसके आनन फानन में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा सुबह 10:30 बजे कर दी गई, जबकि ग्राम प्रधानों द्वारा समय पूछने के बावजूद भी समय नहीं बताया गया, 11:00 बजे पहुंचने के बावजूद भी जिलाध्यक्ष टिहरी रविन्द्र सिंह राणा व अन्य पदाधकारियों को चुनाव में शामिल ही नहीं होने दिया गया, जबकि वर्तमान समय में पौड़ी गढ़वाल व देहरादून में जिलाध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाया,जबकि रुद्रप्रयाग और हरिद्वार जनपद के जिलाध्यक्ष भी इस चुनाव में शामिल नहीं हुए। चकराता देहरादून के विकासखंड अध्यक्ष दलीप सिंह तोमर ने व रविंद्र राणा ने इस चुनाव का विरोध किया। यह एक प्रकार से प्रदेश प्रधान संगठन के लिए सिर मुंडाते ओले पड़ना कह सकते हैं। श्री राणा ने अपनी कार्यकारिणी से चर्चा के बाद बयान जारी कर कहा कि हम इस गैर संवैधानिक निर्वाचन का विरोध करते हैं, और बहुत जल्दी ही प्रधानों के हितों की रक्षा के लिए एक प्रभावी व ऐतिहासिक कदम उठाएंगे, जो भविष्य के लिए नजीर साबित होगी।