दिल्ली एनसीआर के उत्तराखंडी ऐसे मनाते हैं उत्तरायणी मकरैनी पर्व

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गंगा जमुना तहजीब और  उत्तराखंड के पहाड़ों में धार्मिक रीति-रिवाजों के बीच निवास करने वाले पहाड़ी अब भले ही रोजगार के लिए दिल्ली एनसीआर के आसपास रहने लगे हो,  लेकिन उन्होंने एनसीआर में ही पहाड़ का माहौल तैयार कर लिया है । यही वजह है उत्तराखंड के पहाड़ों से कई 100 किलोमीटर दूर होने के बाद भी एनसीआर में उन्हें उत्तराखंड की ही  झलक दिखाई दे  जाती है ।

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मनाए जाने वाले उत्तरायणी मकरानी पर्व को दिल्ली एनसीआर के उत्तराखंडी अलग अलग अंदाज में मनाते हैं मकर संक्रांति से 1 सप्ताह तक करीब 100 स्थानों पर यह पर्व मनाया जाता है ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी अभी से याद रख सके उत्तराखंड के पहाड़ के लोग मैदान में आने के बाद भी अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं को नहीं भूले हैं

मान्यता है कि गुरु माणिक नाथ के आशीर्वाद से ही वीर माधो सिंह भण्डारी ने गढ़वाल राज्य की  सीमा को चीन बार्डर पर   मैक मोहन लाइन तक मिला दिया था । उत्तराखंड के भण्डारी गुरु माणिक नाथ  को अपना इष्ट मानकर पुजा करते है । समिति ने उत्तरायणी मकरानी कार्यक्रम मयूर विहार मैं आयोजित किया । देशभर में उत्तराखंड के लोक पर्व उत्तरायणी मकरानी पर्व की धूम के साथ दिल्ली एनसीआर मे कुमाऊनी और गढ़वाली संस्कृति का भी संगम देखने को मिला।

शनिवार को दिल्ली के न्यू अशोक नगर स्थित कालीबाड़ी मंदिर में श्री गुरु माणिक नाथ सर्वजन कल्याण समिति ने उत्तरायणी मकरानी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमे  उत्तराखंड से आए लोक कलाकारों और गायकों की धुन पर कड़ाके की सर्दी के बीच भी लोग लोगों ने जमकर गीत संगीत का लुफ्त उठाया । कार्यक्रम धार्मिक आस्था से जुड़ा होने के कारण नंदा देवी डोली  यात्रा में महिलाये  भी खूब जमकर झूमती दिखाई दी ।

 

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