देवस्थानम बोर्ड पर तीर्थ पुरोहितो और सरकार के बीच मचा घमासान अब दुआओ और आशीर्वाद से आगे बढ़कर व्यक्तिगत आक्षेप पर उतर आया है | पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत के बयान से गुस्साये पुरोहितो ने उन्हे इस्लाम का प्लांटेड एजेंट बता दिया है | चरो धाम मे नामित सदस्यो के साथ पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र का पुतला दहन कर सामाजिक बहिस्कार कि घोषणा कि गयी है |
देवस्थानम बोर्ड के विरोध मे उत्तराखंड के चारो धाम मे चल रहे विरोध को दरकिनार करते हुए बोर्ड के लिए वर्ष 2021 – 22 का बजट आबंटन हो गया है | तीर्थ पुरोहितो के विरोध के बीच चारो धाम से नामित सदस्य
- गंगोत्री से कृपा राम सेमवाल,
- यमनोत्री से जय प्रकाश,
- केदार नाथ से श्रीनिवास पोस्ती और
- बद्रीनाथ से आशुतोष डिमरी ने बाओर्ड बैठक मे सामिल होकर कोरम पूरा किया |
सूत्रो की माने तो इस पूरे प्रकरण मे विशेष कार्याधिकारी बीडी सिंह का अहम रोल रहा | चारो धाम मे देवस्थानम बोर्ड के विरोध मे नारे लगते रहे इधर तंत्र ने काक बुद्धि का उपयोग करते हुए देवस्थानम बोर्ड का बजट भी पास कर लिया |

खबर मिलते ही तीर्थ पुरोहित आग बबूला हो गए और अपने ही बीच से नामित सदस्य तीर्थ पुरोहित का पुतला फूँक कर विरोध प्रदर्शन करने लगे और उनका सामाजिक बहिस्कार करते हुए मंदिर मे व्यवस्था कार्य से भी उनको हटाने तक का फरमान सुना दिया और साथ मे सलाह दी कि अभी भी नामित सदस्य अपने पदो से इस्तीफा देते हुए अपने समाज के पक्ष मे खड़े हो सकते है |
इस दौरान बोर्ड की देहरादून बैठक मे सामिल होने के बाद वापस उत्तरकाशी लौट रहे गंगोत्री से नामित सदस्य कृपा राम सेमवाल ने बताया कि जिस मकसद से बाकी तीर्थ पुरोहित पर्यटन मंत्री और मुख्य मंत्री के चक्कर काट रहे थे उसी मकसद से वे भी अपने समाज और तीर्थ पुरोहितो कि चिंता से मुख्यमंत्री को रूबरू कराने गए थे, अब वे लोग जाये तो गुड गुड और हम जाये तो खट्टा ?
श्री सेमवाल ने बताया कि देवस्थानम बोर्ड पर पुरहितों कि चिंता के अलावा 1960 से धाम मे पैमाइस न होना , विगत दो साल से ठप्प व्यापार और अन्य व्यवसाय के लिए पैकेज, जांगला मोटर मार्ग जैसे मुद्दो पर सीएम के साथ जो सार्थक बातचीत हुई है उसे जब वे अपने सोसल मीडिया ग्रुप मे भेज रहे है तो उन्ही के समाज के साथी उसे डिलीट कर सच्चाई को छिपाने मे लगे हुए है |
उन्होने सवाल उठाया कि जब सभी लोग तीर्थ पुरोहितो और हक हाकूकधारियों के हित की ही बात कर रहे है तो हमारी बातों को भी सुनने का एक मौका दिया जाना चाहिए |
उन्होने आगे बताया कि देवस्थानम बोर्ड मे तीर्थ पुरोहितो की हर प्रकार की शंका का समाधान किया गया है, जिस पर वह अपने समाज के लोगो के साथ चर्चा करना चाहते है जबकि उन्हे ऐसा करने से रोका जा रहा है |
वही गंगोत्री मंदिर समिति से पुरोहित राजेश सेमवाल ने बताया कि श्री बद्रीनाथ धाम के लिए 24.46 करोड़, श्री केदारनाथ के लिए 29.92 करोड़ जबकि श्री गंगोत्री और श्री यमनोत्री के लिए 50 – 50 लाख रु का बजट पास किया गया है, जो देवस्थानम बोर्ड की अवस्थापना और वेतन आदि पर ही खर्च किए जाने का प्रस्ताव है| उन्होने कहा कि चारो धाम मे नामित सदस्यो का पुतला दहन कर विरोध किया गया है, इतना ही नहीं केदारनाथ मे नामित सदस्य का तो खुद उन्ही के बेटे द्वारा विरोध किया जा रहा है |
इधर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने बयान दिया है कि देवस्थानम बोर्ड का विरोध करने वाले पुरोहित विरोधी कॉंग्रेस विचारधारा के है | पूर्व एम ने ज़ोर देकर पूछा है कि एक बार बताए तो सही कि बोर्ड के किस एक्ट से पुरोहितो को नाराजी है ? सिर्फ विरोध के लिए विरोध करने वालों पर तंज़ कसते हुए त्रिवेन्द्र रावत बोले “जो सोया हो उसे जगाया जा सकता है, पर जो सोने कि एक्टिंग कर रहा हो उसे जगाने को कोई तरीका उनकी समझ से परे है” |
पूर्व सीएम के इस बयान के बाद एक बार फिर पुरोहितो का गुस्सा एक बार फिर त्रिवेन्द्र रावत कि तरफ आग बनकर बरसने लगा है – तीर्थ पुरोहितो ने खुद को बीजेपी और आरएसएस कार्यकर्ता होने का दावा प्रस्तुत करते हुए पूर्व सीएम पर कई आरोप लगते हुए उनका भी पुतला दहन किया है |
गंगोत्री के पुरोहित सुरेश सेमवाल ने तो पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत के ज्ञान और उनकी शिक्षा के स्तर पर सवाल खड़ा कर दिया है | उन्होने कहा कि प्रदेश बीजेपी इस समय त्रिवेन्द्र रावत सरकर मे लिए गए गलत फैसलो के बोये गए बीज से तैयार फसल को ही काटने मे लगी है उन्होने प्रदेश सरकार पर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि प्रदेश मे पूर्व मुख्य मंत्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा बिना विधायकों को विश्वास मे लिए ही सीधे कैबनेट मे प्रदेश मे तीसरे मण्डल का प्रस्ताव लाया गया था, जो सरकार से उनकी विदाई का प्रमुख कारण बना , इसी तरह देवस्थानम बोर्ड पर भी उन्होने यमनोत्री के विधायक केदार सिंह और गंगोत्री से विधायक रहे स्व गोपाल सिंह रावत का हवाल देते हुए नया खुलासा किया कि उन्हे भी देवस्थानम बोर्ड को लागू करने से पहले पूछा तक नहीं गया था , यही वजह है कि विधायक गंगोत्री के पुत्र ने पत्र लिखकर देवस्थानम बोर्ड के विरोध मे अपनी राय दी है |
पर्यटन मंत्री सतपाल पर भी खुलासा करते हुए पुरोहित सुरेश सेमवाल ने बताया कि सतपाल महाराज भी त्रिवेन्द्र रावत सरकार के फैसलो से तंग अ चुके थे और उन्होने बेमन से इस एक्ट पर अपनी सहमति दी है |