जिस तरह हुनमन जी युद्ध मे मूर्छित लक्षम्न जी केलिए पहाड़ो से संजवानी बूटी लेकर आए थे उसू अंदाज मे स्वास्थ्य विभाग इस युग के हनुमान जी को लेकर आपके पास तक भेजने वाला है तो तैयार हो जाइए हनुमान चालीसा के लिए
बीमार व्यक्तियों के ब्लड सैंपल की जांच हो अथवा जीवन रक्षक दवा की कमी अब ऐसा बहाना बनाकर मरीज को हायर सेंटर भेजेने की प्रवृत्ति पर रोक लग सकेगी । पहाड़ी जिलो से सैंपल जांच अथवा जीवन रक्षक दवा जो राजधानी देहरादून से करीब 5- 6 घंटे मे पहुंचती थी अब वह महज 40 मिनट में पहुंचने वाली है और ये काम आधुनिक तकनीक ड्रोन के माध्यम से होने जा रहा है
हवा मे उड़ता ये मिनी हेलीकोपटेर एक ड्रोन है जो हनुमान जी की तरह गंभीर घायल अथवा बीमार मरीज के लिए संजीवनी बूटी का काम करने जा रहा है । पहाड़ी सड़क मार्ग कभी लैंड स्लाइड तो कभी बर्फवारी के चलते बंद होते रहते है ऐसे मे आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर ज़िंदगी और मौत के बीच के सफर को कम करने का जो प्रयास स्वास्थ्य विभाग ने किया है वो कितना कारगर होगा ये तो समय बताएगा किन्तु ये तय है की ईमानदारी के साथ जीवन बचाने के उद्देश्य से यदि इस योजना का उपयोग हुआ तो ये पहाड़ो मे स्वस्थ्य विभाग के लिए मील का पत्थर साबित होहो सकता है
उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग एक निजी कंपनी के साथ एमओयू साइन करने जा रहा है जिसके बाद नियमित रूप से पहाड़ी जिलों में ड्रोन से उड़ान भरकर राजधानी देहरादून में सैंपल जांच के लिए भेजें जाएंगे और वापसी के में जीवन रक्षक दवाओं को लेकर ये ड्रोन फिर लौट जाएंगे ।
खासकर आपदा के समय यह तकनीकी बेहद मुफीद साबित हो सकती है। उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए दवाओं, टीकों को समयबद्ध तरीके से पहुंचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ड्रोन टेक्नोलॉजी का सफल ट्रायल किया है। बीते रोज राजधानी देहरादून से उत्तरकाशी के लिए ड्रोन का एक का सफल परीक्षण किया गया जो 40 मिनट में जीवन रक्षक दवाओं को लेकर उत्तरकाशी पहुंच गया । सीएमओ उत्तरकाशी विनोद कुकरेती ने इसकी पुष्टि की है ।
रेडक्लिफ लैब्स ने स्काई एयर के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की है। मई में इसका ट्रायल किया गया था, जो अब शुरू कर दिया गया है। रेडक्लिफ ने इसके लिए उत्तरकाशी में अपना कलेक्शन सेंटर खोला है। ड्रोन से ब्लड सैंपल उत्तरकाशी से दून आएंगे और यहां जांच के बाद रिपोर्ट ऑनलाइन भेजी जाएगी। सीएमओ डॉ विनोद कुकरेती का कहना है कि अभी तक सड़क मार्ग से सैंपल आने में छह से आठ घंटे और भूस्खलन होने पर अधिक समय लग जाता था, लेकिन अब 40 मिनट में सैंपल दून पहुंच जाएगा।