गंगोत्री धाम को जाने वाली सड़क को अतिक्रमण से मुक्त करने की पालिका प्रशासन की पहल पर जल विद्धुत निगम ने मिट्टी डाल दी है । मुख्य सड़क से मैकानिकल वर्क्स वाली दुकानों को शहर से बाहर एक तरफ शिफ्ट करने के लिए जहा पालिका ने दुकाने बनाई वहा जल विधुत्त निगम, ने मलवा उलट दिया
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उत्तरकाशी नगर में गंगोत्री धाम को जाने वाले मुख्य मार्ग पर मोटर मैकेनिक और वेल्डिंग व्यवसायियों द्वारा सड़क पर अवैध अतिक्रमण हटाने की दिशा में नगर पालिका के प्रयास को जल विद्युत निगम ने अधर में लटका दिया है उत्तरकाशी ज्ञानसू टैक्सी स्टैंड के पास यह जो व्यापारिक शेड नगरपालिका उत्तरकाशी ने बनाए थे उन पर जल विद्युत निगम ने मिट्टी डाल दी है ऐसे में नगरपालिका का इन दुकानों पर किया गया लाखों रुपए का खर्च बेकार साबित हो रहा है । उत्तरकाशी गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर आधी सड़क तक पसरे हुए मोटर मैकेनिक और वेल्डिंग वर्क्स व्यवसायियों को शहर में एक अलग स्थान पर व्यवस्थित करने के उद्देश्य से नगर पालिका ने जो स्थान चयनित किया वह जल विद्धुत निगम की जमीन निकली । बिना जल विद्युत निगम की परमिशन के पालिका ने इस पर निर्माण शुरू कर दिया निगम ने विरोध जताया तो पालिका ने यह कहकर कि यहाँ अस्थाई निर्माण किया जा रहा है काम जारी रखा जबकि इसे कई मंजिलों से स्थायी निर्माण कर मुख्य सड़क तक लाने की योजना थी ।
मजेदार बात यह रही कि लाख प्रयास के बाद भी न तो जिला प्रशासन और न पालिका प्रशासन ही यहां मोटर मैकेनिक और वैल्डिंग वालों को शिफ्ट नहीं कर सका वही अपनी जमीन पर अतिक्रमण रोक नहीं पाने की दशा में जल निगम ने झील क्षेत्र के आसपास निर्माण कार्य से निकली हुई मिट्टी डंप कर दी जिसके बाद पालिका की ये दुकाने मिट्टी के ढेर में दबकर रह गई हैं ।
बड़ा सवाल यह है बिना सोचे समझे जिस स्थान पर पालिका ने दुकानें बना डाली उस खर्च का औचित्य साबित करना अब पालिका के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है हालांकि पालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल कहते हैं कि जल्द ही जल विद्युत निगम इस मिट्टी को हटाने की बात कह रहा है जिसके बाद इन दुकानों की नीलामी कर इसका निर्माण खर्च वसूल किया जाएगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि पालिका का यह फैसला जल विद्धुत निगम को भाता भी है या नहीं