उत्तरकाशी : नेताओ ने तोड़ी उम्मीद – कलम छोड़ पत्रकार ने थाम लिया बगावत का झण्डा

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कोरोना काल की लंबी वीरानी के बाद अब एक बार फिर धरना  प्रदर्शन और आंदोलन का दौर सुरू हो चला है | कोरोना के बाद बिगड़ी आर्थिक हालात और विधान सभा चुनाव से पूर्व मांग पूरी होने की उम्मीद  से लोग सड़क पर उतरने लगे है | उत्तरकाशी के पीएमजीएसवाई कार्यालय मे ढ़ोल दमौ के साथ विरोध प्रदर्शन  करते हुए ये साल्ड और ज्ञानजा के ग्रामीण है, जो हाथो मे बोरा लिए विभाग से 7 साल पहले काटी गयी उनकी खेती का अनाज और जमीन का मुआवजे की मांग रहे है |

स्वस्थ लोकतन्त्र के लिए इसके  सभी चारो  पाए अपनी- अपनी ज़िम्मेदारी ईमानदारी से निभाते रहे यह बेहद  जरूरी है | आम लोगो की  खुसहाल ज़िंदगी के  लिए एक पत्रकार सुबह से साम तक चक्कर काटता रहता है,  काम की भाग दौड़ मे अपने और अपनों  के लिए कुछ समय ही नहीं निकाल पाता है, उनके लिए कुछ नहीं कर पाता है |  भीड़ मे खड़े उन आम  चेहरो को अपनी कलम  की धार से खास बनाने वाले पत्रकार को जरूरत के वक्त वे खास लोग भी भूल जाया  करते है,  ऐसे मे कई बार पत्रकार को अपनी पत्रकारिता को कुछ देर किनारे रख कर मजबूरी मे नेता जी की भी भूमिका निभानी पड़ती है |

ऐसा ही एक मामला उत्तरकाशी के भटवाड़ी विकासखंड  के साल्ड ज्ञानजा का है,  जहा वर्षो तक नेताओ  को अपनी पत्रकारिता से चमकाने वाले स्थानीय पत्रकार विपिन नेगी को महसूस हुआ कि उनका खुद का गाँव विकास कि दौड़ मे पिछड़ता चला जा रहा है | कई बार नेताओ के चक्कर काटने पर कोरे आस्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला तो विपिन ने पत्रकारिता को एक किनारे रखकर असहयोग आंदोलन का झण्डा थाम लिया | न्याय पंचायत के अकेले जीआईसी मे 13 वर्षो से अधूरा भवन हो अथवा 7 वर्ष से ज्ञानसु – ज्ञानजा सड़क कटान का मुआवजा | नेताओ से भरोसा टूटा तो खुद कमान संभाली – आखिर लिहाज भी कब तक करते – मैदान संभाला तो परिणाम भी सुखद आते दिखने लगे – तो लोगो को कहना पड़ा – बहुत देर से दर पे आंखे लगी थी – हुजूर आते आते बहुत देर कर दी |

उत्तरकाशी से साल्ड होते हुए ज्ञानजा तक सड़क निर्माण के 7 साल बाद भी ग्रामीणो कि निजी भूमि का मुआवजा नहीं मिला तो गुस्साये पत्रकार ने कलम किनारे रखकर बगावत का झण्डा बुलंद करते हुए पीएमजीएसवाई कार्यालय कि घेराबंदी कर दी | मौके पर ही खाली बोरे लेकर आए ग्रामीणो ने विभाग से 7 सालो का अनाज और भूमि कटान के मुआवजे की मांग की | मौके पर अधिशासी अभियाता नहीं मिले तो सहायक  अभियंता और अवर अभियंता को पहले तो कमरे मे बंद कर दिया फिर वार्ता के लिया बुलाया |

 एई से अपने अधीक्षण अभियंता से फोन पर ग्रामीणो की बात कराई तो उन्होने ग्रामीणो से दो महीने का समय मांगा,  जिस पर बात नहीं बनी | ढ़ोल दमौ के साथ विभाग मे प्रदर्शन करते हुए ग्रामीणो ने विभाग के खिलाफ जमकर नारे बाजी सुरू कर दी और मांग पूरी होने तक वही डटे  रहने का  फरमान सुना दिया | परेसान होकर विभाग की तरफ से सहायक अभियंता आशीष भट्ट ने ग्रामीणो को  लिखित भरोसा दिलाया कि  10 अगस्त तक ग्रामीणो को मुआवजा बंटना सुरू कर दिया जाएगा |

अब जीआईसी साल्ड  के स्कूल भवन का मामला हो अथवा पीएमजीएसवाई से सड़क का मुआवजा 11 अगस्त से एक बार फिर गाँव के लोग जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करते दिखाई देंगे, अपनी बारी का इंतजार करते करते परेसान ग्रामीणो ने मांग पूरी न होने पर विधान सभा चुनाव 2022 का बहिस्कार करने कि चेतवानी दी है | गंगोत्री का दुर्भाग्य है कि इस बार चुनाव से ऐन वक्त पहले उसके पास विधायक भी नहीं है जो रूठे अपनों  को मना सके |

विभाग के प्रभारी अधिशासी  अभियंता आशीष भट्ट  ने बताया कि वर्ष 2016 से एक किमी सड़क कटान का मुआवजा तत्कालीन नियम के अनुसार अकृषि दर से ग्रामीणो को पहले ही बांटा जा चुका था , बाद मे नियमो  मे बदलाव के चलते कृषि दरो पर मुआवजा लेने से ग्रामीणो ने इन्कार कर दिया – इस बीच सड़क कटान से हुई क्षति के आंकलन पर राजस्व विभाग का सत्यापन न होने से भी देरी हुई है जिसके बाद ग्रामीणो ने सड़क निर्माण काम रुकवा दिया था|  एक बार फिर से अवर अभियंता के हाथो कृषि दर से ग्रामीणो के मुआवजे की फ़ाइल स्वीकृति के लिए भेजी है उम्मीद है जल्द ही स्वीकृति मिल जाएगी |

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