डेरा मुखी पेरोल का हकदार नही- स्वराज इंडिया

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बलात्कारी और हत्यारे “बाबा” को जेल से पैरोल/छुट्टी देने की कोशिश अनैतिक, गैर कानूनी और जनहित विरोधी है। असली कारण चुनावी सौदेबाजी है।
• स्वराज इंडिया ने कल सिरसा में डीसी को विरोध ज्ञापन दिया, आज पंचकूला में जनता के बीच उठाई आवाज़ ।
• अगर सरकार ने फिर भी पैरोल दी तो स्वराज इंडिया इसके विरुद्ध कोर्ट जाएगी।

आंकित तिवारी।

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डेरे की साध्वियों से बलात्कार व निडर पत्रकार छत्रपति की हत्या केस में सजा काट रहा अपराधी “डेरा मुखी” चार कारणों से पैरोल का हकदार नहीं है।
1. हरियाणा के 2012 के कानून के तहत “हार्ड कोर” कैदी पैरोल का हकदार नहीं । इस अपराधी को अगस्त 2017 में बलात्कार केस में आजीवन सजा व जनवरी 2019 में हत्या केस में 20 साल सजा हुई है। लगातार दो केसों सजा होने के आधार पर यह हार्ड कोर कैदी की श्रेणी में आता है।
2. अगस्त 2017 में सजा सुनाए जाने के समय डेरा समर्थकों ने हरियाणा व पंजाब में जिस तरह की हिंसा फैलाई थी, उसे देखते हुए स्पष्ट है कि डेरा मुखी को पैरोल मिलने से राज्य में शांति भंग होने व कानून व्यवस्था बनाई रखने के लिए फिर गोलियां चलेंगी व खून बहायेगा।
3. छत्रपति हत्या केस में तो सजा भुगतते हुए अभी मात्र छह महीने हुए हैं, तो पैरोल की दरखास्त पर विचार ही क्यों हुआ।
4. डेरा मुखी के मालिकाना हक वाली कृषि योग्य भूमि होने व इस अपराधी को बीते सालों में खेती करने का कोई सबूत है ही नहीं । यूं भी जुलाई महीना न तो खेती में फसलों की बुआई या कटाई का है ही नहीं ।

स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने ट्वीट करके कहा कि इस सवाल पर “सरकार ना बोले, विपक्ष तो मुंह खोले!”
योगेंद्र यादव ने विपक्षी नेताओं @AshokTanwar_INC @Dchautala @OfficialINLD @ArvindKejriwal को टैग कर कल ही सवाल पूछा था कि बलात्कारी और हत्यारे को चुनावी खेती के लिए पैरोल देने की कोशिश पर आपकी क्या राय है?

स्वराज इंडिया, हरियाणा के अध्यक्ष राजीव गोदारा ने कहा कि डेरे की वोट लेकर बनी सरकार ने 2017 में डेरा मुखी को बचाने व खुश करने कब लिए हिंसा की आग में झोंक दिया था। इसके अलावा भी पिछले 5 साल में दो अन्य मौकों पर भी भाजपा की सरकार ने वोट पक्के करने की खातिर समाज को बांटने का हिंसक खेल किया है। सत्ता की लालसा में हिंसक व्यवहार से कामयाब होती राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए खट्टर सरकार फिर से हरियाणा में सामाजिक शांति व कानून व्यवस्था का बलिदान करने की तैयारी कर रही है।

स्वराज इंडिया की उपाध्यक्ष, शालिनी मालवीय ने बताया कि स्वराज इंडिया के साथी कल सिरसा डीसी से मिले। आज पंचकूला में स्वराज इंडिया ने नागरिकों के बीच इस मुद्दे को उठाया। पंचकूला में अपने डेरे की दो साध्वियों से बलात्कार के अपराध में बाबा को उम्रकैद की सजा अदालत ने 2017 में सुनायी थी। उस समय डेरे के हजारों लोग पंचकूला पहुंचे, आगजनी हुई, गोली चली, पंचकूला बन्द रहा था। वाहन जला दिए गए थे, पंचकूला की सडकों पर रेलिंग से लेकर मीडिया वन भी तोड़ दी गई थी। सेना को बुलाना पड़ा था। तब भी हरियाणा सरकार का ढुल मूल रवैया ही इस बर्बादी का ज़िम्मेदार था।

मरहूम पत्रकार छत्रपति जिनकी हत्या बाबा ने करवाई थी, उनकी बेटी, श्रेयसी भी इस विरोध में शामिल हुई। उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि दशकों के संघर्ष के बाद न्याय मिला था, दर और भय के साये में यह लम्बा संघर्ष रहा, लेकिन अब बाबा पर राजनीतिक दलों की कृपा देखकर दंग हूँ।

स्वराज इंडिया पूछना चाहता है कि क्या ये खट्टर सरकार भूल गई कि “वोट वाले अपराधी” को जब सजा हुई व जेल भेजा गया था तब किस कदर कानून व्यवस्था बिगड़ी व किस तरह हरियाणा के साथ ही पंजाब में भी सामाजिक अशान्ति का माहौल बना था !
राजीव गोदारा ने कहा कि 2017 में भी खट्टर के मंत्री डेरे में जाकर वोट की सौदेबाजी कर रहे थे, आज भी कर रहे हैं!
खट्टर सरकार ने तब हजारों की भीड़ को पंचकूला आने दिया, अपराध व वोट की गठरी को सुरक्षा लाव लश्कर के साथ पंचकूला लाई। फिर आगजनी हरियाणा व पंजाब में हुई, गोलियां चली, लोग मारे गए, हाई कोर्ट को दखल देना पड़ा ।
दो केस में सजायाफ्ता अपराधी के खिलाफ दो अन्य संगीन मामले चल रहे हैं अदालत में, जिनमें रंजीत सिंह की हत्या के मामले में फैसला आने वाला है।
पंजाब में बेअदबी मामले का आरोपी (डेरा समर्थक) जेल में मार दिया गया, जिसकी निष्पक्ष जांच व अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई हो, अपराधियों को सजा भी हो, यह न्याय की बात होगी।
मगर उस डेरा समर्थक की हत्या होने के बाद प्रेमी आक्रोश में हैं (आक्रोश वाजिब है)।
इधर बेअदबी मामले में कमीशन की रिपोर्ट के बाद एक्शन टेकन रिपोर्ट आ गई। डेरा पर भी इल्जाम मजबूत हैं।
ऐसे हालत में डेरा मुखी (बलात्कार व हत्या केस में घोषित अपराधी सजायाफ्ता) को पैरोल पर छोड़ना हरियाणा व पंजाब दोनों में शांति भंग करने का ठोस अंदेशा पैदा करता है।
योगेंद्र यादव ने कहा कि यह शर्म की बात है कि राज्य के दो मंत्री सार्वजनिक तौर पर इस अपराधी को पैरोल देने की वकालत कर रहे हैं। डेरे के समर्थकों की वोट की खातिर 29 अप्रेल 2019 को डेरे में जाकर नतमस्तक हुए कांग्रेस प्रधान अशोक तंवर, डेरे के सत्संग घर के चक्कर काटने वाले जजपा के प्रधान निशान सिंह चुप हैं , इनेलो व आम आदमी पार्टी से बोलने की उम्मीद ही कहाँ व किसे होगी। मगर ये सब विपक्ष वाले भूल रहे हैं कि 2015 में डेरे के वोट लेकर 2017 में हरियाणा को आग में झोंकने की तैयारी करने वाली भाजपा की खट्टर सरकार ने 2019 लोकसभा में भी डेरे के वोट लिए । जिसके बदले में वादा किया ही गया होगा कि डेरा मुखी को पैरोल देंगें ।

स्वराज इंडिया हरियाणा भर के लोगों से अपील करती है कि आओ मिलकर आवाज उठाएं व सत्ता को बता दें कि जनता सरकार द्वारा वोट के लालच में हरियाणा को फिर से अशांति की आग में झोंक देने के असंवेदनशील व्यवहार को सहन नहीं करेगी!

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