संस्कृत से संस्कृति , गुरुकुल शिक्षा है वैज्ञानिक , श्वर ब्रहम की तलाश

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देहरादून 9 नवम्बर। गुरुकुल पौंधा-देहरादून में तीन दिवसीय गुरुकुल महोत्सव में देश के 50 गुरुकुल और उनके लगभग 450 छात्र व छात्रायें भाग ले रहे हैं। महोत्सव के दूसरे दिन आज प्रातः वायु-जल-अन्न-वनस्पति शोधन का प्रमुख साधक एवं आध्यात्मिक लाभ देने वाला वैदिक यज्ञ सम्पन्न किया गया जिसके ब्रह्मा डा0 सोमदेव शास्त्री थे। यज्ञ के बाद गुरुकुल के वेदभवन सभागार में डा0 सोमदेव शास्त्री जी की अध्यक्षता में पाणिनीय वर्णोंच्चारण शिक्षा पर शोध संगोष्ठी का अयोजन सम्पन्न हुआ।

गुरुकल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डा0 ब्रह्मदेव विद्यालंकार जी ने कहा कि

आधुनिक विज्ञान भी मनुष्य की स्वर तन्त्रिकाओं को जानने व समझने का प्रयत्न कर रहा है। स्वर तन्त्रिकायें हमारे कण्ठ प्रदेश वा स्थान पर विद्यमान हैं। डा0 ब्रह्मदेव जी ने संवाद, नाद, घोष सहित अनेक स्वरों के उच्चारण की बातों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

गिरीश गैरोला

गोष्ठी का संचालन गुरुकुल के यशस्वी स्नातक डा0 रवीन्द्र कुमार आर्य ने किया। उन्होंने संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान एवं राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान देवप्रयाग के प्राचार्य प्रो0 सुब्बारायुडु जी, नई दिल्ली, हैदराबाद से पधारे संस्कृत विद्वान आचार्य उद्यन मीमांसक तथा डा0 सोमदेव शास्त्री जी के व्यक्तित्व व कृतित्व का परिचय दिया और उनसे जुड़े अपने अनेक प्रसंग भी सुनाये। आचार्य उद्यन मीमांसक जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि वेदों को समझने के लिये महर्षियों ने 6 वेदांगों का प्रणयन किया था। इन वेदांगों में वर्णोच्चारण शिक्षा प्रथम स्थान पर है। महर्षि दयानन्द के पुरुषार्थ से पाणिनीय शिक्षा सूत्र रूप में उपलब्ध हो सकी है। इसका अध्ययन दो से चार दिनों में हो जाता है। वर्ण व शब्दों की उत्पत्ति कैसे होती है, यही विज्ञान वर्णोच्चारण शिक्षा में बताया गया है।

संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान श्री के0बी0 सुब्बारायुडु जी गोष्ठी के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने अपना सम्बोधन धारा प्रवाह संस्कृत में दिया। वक्ता ने श्रोताओं से पूछा कि वह संस्कृत में बोले या हिन्दी में। अधिकांश श्रोताओं ने उन्हें संस्कृत में बोलने का निवेदन किया। उनका पूरा सम्बोधन संस्कृत में था।

संस्कृत शिक्षक संघ के प्रमुख अधिकारी डा0 विश्वम्भर दयालु जी ने अपने सम्बोधन में बताया कि उन्होंने संस्कृत भाषा को अनेक राज्यों के सरकारी संस्थानों में लागू कराया है। इसके लिये उन्होंने अनेक मुकदमें भी लड़े हैं और संस्कृत की उपधियों को मान्यता प्रदान कराई है। उन्होंने कहा कि आने वाले एमय में लगभग 1.50 लाख संस्कृत से सम्बन्धित नौकरियां संस्कृत के स्नातकों को मिल सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकार मांगने से काम नहीं चलेगा। इसके लिये हर सम्भव उपाय व साधन को अपनाना होगा।

संगोष्ठी में डा0 के0बी0 सुब्बारायुडु, आचार्य उद्यन मीमांसक, तेलंगाना, आचार्य ओम्प्रकाश जी, आबू पर्वत तथा प्रो0 ब्रह्मदेव विद्यालंकार, हरिद्वार का वैदिक रीति से सम्मान भी किया गया।

इसके अनन्तर डा0 रवीन्द्र आर्य जी ने कहा कि विज्ञान मनुष्य को पूर्ण सुख तथा 100 वर्ष की आयु भी अभी तक नहीं दे सका है। उन्होंने ऋषि दयानन्द के सन्देश वेदों की ओर लौटने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यदि हम वेदों की ओर नहीं लौटेंगे तो हम समाप्त हो जायेंगे। गोष्ठी के मध्य वैदिक विद्वान डा0 सोमदेव शास्त्री जी की दो पुस्तकों ‘वैदिक सन्देश’ तथा ‘वैदिक षडदर्शन’ का विमोचन व लोकार्पण भी किया गया।

सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली के महामंत्री श्री विट्ठल राव आर्य जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि संस्कृत और इसकी रचना संसार की सब भाषाओं में विशिष्ट है। उन्होंने अंग्रेजी की खामियों के उदाहरण दिये और कहा कि आश्चर्य है कि संसार के लोग अंगे्रजी का प्रयोग करते हैं। विद्वान वक्ता ने कहा कि संस्कृत में ही हमारी संस्कृति छिपी है।

गोष्ठी के अध्यक्ष डा0 सोमदेव शास्त्री जी ने कहा कि हमें वर्णोच्चारण शिक्षा का अध्ययन कर शब्दों का शुद्ध उच्चारण करना चाहिये। हमें वेदों के अध्ययन और उनके स्वाध्याय के लिये मेहनत करनी चाहिये। मंच पर स्वामी प्रणवानन्द सरस्वती, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली के प्रधान स्वामी आर्यवेश जी, संस्कृत विद्वान श्री वत्स शास्त्री, स्वामी विश्वानन्द जी आदि अनेक विद्वान उपस्थित थे। शान्ति पाठ के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ। इसके बाद भोजनावकाश हुआ। अपरान्ह में संस्कृत की लगभग सात प्रतियोगिताओं का अनेक कक्षों व स्थानों में संचालन हो रहा है।

गुरुकुल द्वारा अतिथियों के की गई सभी व्यवस्थायें सबके लिये सुविधाजनक हैं। सभी गुरुकुल महोत्सव में पधार कर इसे अपूर्व आयोजन बता रहे हैं। सभी आगन्तुक यहां आकर सन्तुष्ट हैं।

इस अवसर पर संस्कृत के अनेक विद्वान् उपस्थित रहे।
कल दीपक कुमार इस अखिलभारतीय गुरुकुलमहोत्सव में पधार कर अपने गुरुओं से आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। अभी दीपक कुमार को हाल में ही ओलम्पिक टोक्यों 2020 के लिए निशानेबाजी में कोटा प्राप्त हुआ है।

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