प्रदेश के किसानों की समस्याओं के सम्बन्ध में भाकियू ने उपजिला अधिकारी के माध्यम से प्रदेश के मुखिया योगी जी को ज्ञापन भेजा।
आंकित तिवारी ।
आदरणीय श्री योगी जी
प्रदेश में भाकियू हमेशा किसानों के लिए संघर्ष करती रही है। पिछले काफी समय से किसानों की समस्याओं के सम्बन्ध में आन्दोलन के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है। किसानों की समस्याओं को गम्भीरता से नहीं लिए जाने के कारण मजबूर होकर भाकियू को बेहद गर्मी के बावजूद किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।
आज दिनांक 27.06.2019 को भाकियू तहसीलों पर प्रदेशव्यापी आन्दोलन के तहत उपजिलाधिकारी कार्यालय ……………पर आयोजित किसान पंचायत के माध्यम से निम्न मांग करती है-

1. बिजली- विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित बिजली दरों को स्वीकृति न दी जाए। किसानों को निजी नलकूप हेतु बिजली निःशुल्क उपलब्ध करायी जाए। देश के 6 राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा ऐसा किया जा रहा है। पंजीकृत किसानों को ब्याज व पैनल्टी में 31 जौलाई 2019 तक दी जाने वाली छूट में गैर पंजीकृत किसानों को भी शामिल किया जाए।

2. गन्ना- प्रदेश में गन्ना किसानों का बकाया राशि का भुगतान अविलम्ब ब्याज सहित कराया जाए। शुगर केन एक्ट में गन्ना आयुक्त को ब्याज माफ करने वाली शक्ति प्रदान करने वाली धारा को अविलम्ब समाप्त किया जाए।
3. पिछले सत्र के ब्याज के निस्तारण हेतु माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को अधिकृत किया गया है। सरकार द्वारा अविलम्ब किसानों को ब्याज देने के निर्देश दिए जाएं।

4. सामान्य योजना के अन्तर्गत स्वीकृत सभी नलकूप कनैक्शन का शत् प्रतिशत् लक्ष्य निर्गत किया जाए। वर्तमान सरकार के गठन के पश्चात सामान्य योजना के अन्तर्गत निजी नलकूप के कनेक्शन में लाईन की लम्बाई 300 मीटर से घटाकर 190 मीटर कर दी गयी है। जिससे किसानों पर अत्यधिक भार बढ़ गया है। सामान्य योजना के अन्तर्गत कनेक्शन पर दी जाने वाली सब्सिडी में वृद्धि की जाए।

5. फसलों का समर्थन मूल्य- राज्य में सोयाबीन, दलहन, बासमती धान, मक्का, आलू सहित फल एवं सब्जियों को भी समर्थन मूल्य के आधीन लाया जाए। आलू का समर्थन मूल्य कम से कम 1200 रु0 प्रति कुन्तल तय किया जाए। राज्य सरकार द्वारा दूध के दाम भी तय किये जाएं। गाय और भैंस दोनों के दूध के दाम समान रूप से निश्चित किये जाएं। पशुपालक किसानों को बैंक के क्रेडिट कार्ड स्कीम के अन्तर्गत लाया जाए। फसलों की खरीद समर्थन मूल्य से कम न होना सुनिश्चित किया जाए।
6. ऋण- खरीफ का ऋण वितरण 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक और रबी का ऋण 1 सितम्बर से 31 मार्च तक होता है। किसान को खरीफ व रबी फसली ऋण एक साथ दिया जाए। फसली श्रण का एक चौथाई हिस्सा कृषि आदान के रूप में क्रय करने की अनिवार्यता समाप्त की जाए। सहकारी समितियों में जून में केवल ब्याज जमा करने की अनुमति दी जाए।
7. सिंचाई- प्रदेश में नई नहरों के निर्माण एवं चौगामा नहर परियोजना व बुंदेलखण्ड पंचनदा बांध परियोजना को अविलम्ब पूरा किया जाए। नहरों के पानी टेल तक पहुंचाने व टेल के किसानों के सम्पर्क नम्बर रखने व उस पर सम्पर्क कर कृषकों से यह सुनिश्चित करने की टेल तक पानी पहुंच रहा है, की कारगर व्यवस्था की जाए।
8. कृषि वार्निकी- कृषि वार्निकी के अन्तर्गत किसानों द्वारा पॉपलर, सागौन, यू० के० लिप्टिस की खेती की जा रही हैं। किसानों का उत्पीड़न मण्ड़ी समिति व वन विभाग द्वारा किया जा रहा हैं। कृषि वार्निकी के अन्तर्गत आने वाले सभी वृक्षों पर सभी जनपदों में कटाई एवं ढुलाई पर लगाये गये प्रतिबन्ध को समाप्त करते हुए मण्ड़ी शुल्क भी समाप्त किया जायें। मेंथा की खेती किसानों की नकदी फसल है। मेंथा को फसल का दर्जा देते हुए मण्ड़ी शुल्क समाप्त किया जायें।
9. बुंदेलखण्ड-पिछले 10 वर्षो से बुन्देलखण्ड के किसान सूखा व असमय बारिश की मार झेल रहे है, जिससे किसानों पर कर्ज का बडा भार हो गया है। आये दिन बुन्देलखण्ड में किसानों द्वारा आत्महत्या की जा रही है। बुंदेलखंड के किसानों का पलायन रोकने एवम आजीविका के संकट के समाधान हेतु एक संयुक्त समिति का गठन किया जाए। बुन्देलखण्ड़ के किसानों के सभी कर्ज माफ किये जायें।
10. बुंदेलखण्ड में किसानों की आत्महत्या एवं पलायन रोकने हेतु एक बार सभी किसानों का सभी तरह का कर्ज (साहुकार/सरकारी) पूर्णतः माफ किया जाए।
11. प्रदेश में आवारा पशुओं जैसे नीलगाय, जंगली सुअर आदि के द्वारा किसानों की फसलों को नष्ट किया जा रहा है। सरकार द्वारा इसकी रोकथाम हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाये। बुंदेलखण्ड में अन्ना प्रथा पर कानूनी प्रतिबंध लगाया जाए।
12. किसान सम्मान निधि योजना में राज्य सरकार का अंशदान बढ़ाकर इसे 10,000 रुपये किया जाए।
13. राज्य में एक बेहतर किसान पेंशन योजना चालू की जाए। पेंशन का प्रीमियम किसानों से न लिया जाए।
14. कृषि, पशुपालन, गन्ना, उद्यान, मतस्य आदि कृषि से सम्बन्धित विभागों द्वारा एक्सटेंशन का कार्य नहीं किया जा रहा है। किसान विभाग की बजाय कम्पनियों की सलाह पर कार्य कर रहे हैं। जिससे किसानों की उत्पादन लागत कम करना सम्भव नहीं है। विभागों द्वारा समय-समय पर किसानों को एडवायजरी जारी करते हुए एक्सटेंशन पर कार्य करना चाहिए।
15. एनजीटी के पुराने वाहनों पर आदेश से ट्रैक्टर को मुक्त किया जाए। सभी तरह के वाहनों की समय
सीमा 15 वर्ष की जाए।
16. मुकदमें- आन्दोलन के दौरान किसानों पर सभी मुकदमे वापस लिये जाये।

