तेरी मेहरबानियां नही मेरा हक चाहिए -पत्रकार संघ उत्तराखंड

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उत्तराखंड वेब पोर्टल के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम कर रहे सूचना महानिदेशक के खिलाफ सभी पत्रकार संगठनो के सोमवार को सूचना भवन के एकत्र होकर आर पार की जंग का एलान कर दिया है। गौरतलब है कि वेब पोर्टल के इम्पैनलमेंट के लिए सूचना विभाग लंबे समय से मीठी गोली देते आ रहा था। लंबे इंतजार के बाद विज्ञापन के टेंडर खुले तो विज्ञापन दर की ऐसी की तैसी कर दी, इतना ही नही नए दर स्वीकार करने के बाद राज्य स्थापना दिवस पर पुराने अग्रीमेंट में दर्ज पोर्टल को विज्ञापन जारी कर दिए और नए पर हाथ खड़े कर दिए।जबकि विभाग के खासमखास चमचा टाइप पत्र पत्रिकाओं पर नियम कानून को ताक पर रखकर जमकर मेहरबानियां की गई।

गिरीश गैरोला

सूचना विभाग की दीवारों पर सज्जित पुराने और स्थानीय मझोले समाचार पत्र दिखाने भर के लिए है, विज्ञापन के लिए बड़े – बड़े कॉरपोरेट भिखारियों को विज्ञापन दान में दिए जाने की परंपरा हालांकि लंबे समय से रही है पर उसमें कुछ हद तक लचीलापन दिखता था जो अब नदारद है। लिहाजा पत्रकार यूनियन ने फैसला लिया है कि अगर भीख मांगकर ही काम चलाना है तो सीधे जनता से ही क्यों न मांग ली जाय , विभाग से क्यों?

सूचना महानिदेशक को लिखे पत्र में यूनियन ने स्पष्ट किया कि 6 नवंबर तक मांगे पूरी नही हुई तो राज्य स्थापना दिवस पर सड़को पर कटोरा लेकर पत्रकार भीख मांगेंगे और उसी से प्राप्त आमदनी से रोजमर्रा की रोटी शब्जी का जुगाड़ करेंगे। 9 नवंबर को राज्य 19 वर्ष पूर्ण कर बालिग हो चुका है जिससे स्वतंत्र निर्णय लेने की  उम्मीद की जा रही थी किन्तु आजादी के समय भारत मे छूट गए काले अंग्रेजो ने उसे स्वतंत्र फैसले लेने के काबिल नही रखा। लिहाजा लोकतंत्रणके चौथे स्तंभ को पकोड़े तलने की बजाय भीख मांगने का व्यवसाय ज्यादा उचित दिखाई दे रहा है।

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