पेयजल का सफ़ाई टैंक या बंदरो का स्विमिंग पूल।

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स्वच्छता अभियान को आईना दिखाता वीडियो।

जल संस्थान के टैंक में स्विमिंग और डाइविंग की ट्रेनिंग लेते बंदर।
गिरीश गैरोला।
उत्तरकाशी  में स्वच्छ पेयजल के जिस टैंक से हजारों लाखों स्थानीय और तीर्थ यात्री अपनी प्यास बुझाते हो उस टैंक को बंदरो ने अपना स्विमिंग पूल बनाया हुआ है। टैंक में बाकायदा पूरी मौज मस्ती से साथ बंदरो की टीम द्वारा स्काई डाइविंग की जाती है। राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय खेलो के लिए इंसानों को तैयार करने के लिए भले ही सरकार के पास संसाधनों की कमी हो किन्तु बंदरो ने इस पर अपना हक जताते हुए साबित कर दिया है कि भी खेल जगत में कम से कम इंसानों से पीछे नही रहना चाहते है। घंटों तक चलने वाले इस मौजमस्ती में शौच उर मल मूत्र भी यही पर उत्सर्जित किया जाता है।
देश भर में चल रहे स्वच्छता अभियान के बाद नगरों में थूकने के लिए थूक दान ,  और शौच के पेशाबघर और टॉयलेट्स  आदि बनाये गए है ताकि कोई भी व्यक्ति खुले में शौच कर गंदगी  न कर सके । खुले में थूकने ,अथवा पेशाब करने के लिए इंसानों पर  दंड भी लगाया जाता है।
यहाँ तक कि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान भी वर्जित है। पर बंदर कानून की मर्यादा को नही स्वीकार करते  है। हनुमान जी से शक्ल मिलने के चलते समाज मे धार्मिक आस्था इतनी प्रबल है कि लोग इन्हें ही हनुमान समझने लगे है जबकि सबको मालूम है कि लंका जीतकर सीता जो को रावण की कैद से आजाद करने वाले बंदर कुछ और ही थे।
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