पीसीएस के ट्रांसफर में आम की मिठास और देवदार की ठंडक का असर

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पीसीएस के ट्रांसफर में आम की मिठास और देवदार की ठंडक का रखा है विशेष ध्यान।
पहाड़ का पहाड़ में और मैदान का मैदान में डटे रहे ज्यादातर अधिकारी।
जीरो टॉलरेंस में भी निकाल ली जुगाड़।
गिरीश गैरोला
पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में आम की मिठास और देवदार के पेड़ों की ठंडक का असर देखने को मिलेगा। 25 फरवरी को कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की ओर से जारी 43 पीसीएस अधिकारियों की लिष्ट अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के हस्ताक्षर से जारी हुई है।

देश मे होने वाले लोक सभा चुनाव की तैयारियों के बीच चुनाव आयोग की नियमावली को देखते हुए प्रदेश में तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर चुके अधिकारोयो को स्थानांतरित करने की दिशा में कार्यवाही करते हुए 43 पीसीएस अदजीकरियो की लिष्ट जारी हुई है, जिसमे एसडीएम और एडीएम रैंक के अधिकारियों को इधर उधर किया गया है। दिलचस्प पहलू ये है कि अधिकारोयोंको उधर फेंटने की इस प्रक्रिया में फसल चक्र का विशेष ध्यान रखा गया है। खास कर पहाड़ी में ऊंचाई पर उगने वाले देवदार और मैदान में पैदा होने वाले आम की फसल के अनुरूप ही तबादले हुए है। 43 पीसीएस अधिकारियों की इस लिष्ट मे ज्यादातर अधिकारियों को तबादले में इस बात का ध्यान रखा गया है ताकि बदलाव भी हो जाय किन्तु मौसम के अनुरूप ढलने में उन्हें कोई दिक्कत न हो।

यथा रुड़की से हरिद्वार, उधमसिंह नगर से नैनीताल अथवा हल्द्वानी, पिथौरागढ़ से  पौड़ी,      उत्तरकाशी से रुद्रप्रयाग आदि

ट्रांसफर पालिसी में प्रदेश को चार मैदानी बड़े जिले वर्सिस अन्य पहाड़ी जिलों में विभक्त कर दिया गया। शिक्षकों के लिए सुगम दुर्गम की तरह पीसीएस के लिए कोई दुर्गम सुगम नही दिखाई देता। दरअसल बड़े जिलों में राजधानी के  पास अथवा कद्दावर मंत्री विधायको के संपर्क के बाद ट्रांसफर के इस चक्र व्यू में अंदर घुसकर बिना युद्ध किये सफलता पूर्वक किसी सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर वापसी का बीज मंत्र तलास कर लिया जाता है , जिसके बाद पहाड़ो में वर्षो के सेवा देने के बाद मैदान में जाने की उम्मीद पाले अधिकारोयों की कसमसाहट को समझा जा सकता है। लिष्ट जारी होने के बाद खाली पड़े स्थानों पर जुगाड़ के लिए द्वारपालों से संपर्क साधने की भरपूर कोशिस देखी जा सकती है।

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