क्या मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल से प्रेम धामी सरकार को भारी पड़ेगा ?

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क्या धामी सरकार खुद अपने ही चक्रव्यूह में फंस गई है ?

क्या धामी  के मंत्री यह नहीं चाहते कि सब मामले सुलझ  जाएं?

क्या धामी के मंत्री उलझने बढ़ाने का काम कर रहे हैं ?

ऋषिकेश से मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल एक बार फिर बिपक्ष के  निशाने पर आ गए हैं ।

इस बार प्रेमचंद अग्रवाल ने आखिर ऐसा क्या किया कि उनके बयान को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं?  आखिर प्रेमचंद अग्रवाल को लेकर क्यों ye  कहा जा रहा है कि वे  लगातार किसी खास को  बचाने की कोशिश कर रहे हैं ?

आखिर प्रेमचंद अग्रवाल पर क्यों हमले तेज हो गए हैं?

दरअसल प्रेमचंद अग्रवाल का बॅक डोर  भर्ती में जिस तरह से नाम जुड़ा उस पर आरोप भी खूब  लगे किंतु अब अंकिता मर्डर केस को लेकर उनके बयान की बहुत चर्चा हो रही है

अंकिता भंडारी की हत्या के बाद पहले दिन से ही लगातार कहा जा रहा है कि किसी वीआईपी की वजह से अंकिता भंडारी की हत्या की गई,

आखिर वो  बीआईपी कौन था?  उस पर प्रेमचंद अग्रवाल का तर्क अगर आप सुनिए तो बहुत अजीब सा लगता है,

आखिर प्रेमचंद अग्रवाल को  मंत्री होते हुए क्या इस तरह के बयान देना कितना  सही लगता है ? कि वीआईपी कोई नहीं,  होटल के कमरे का नाम था

अगर मंत्री  सही हैं तो उनकी ही पुलिस क्यों आरोपियों का नारकोटेस्ट  करवाना  चाहती है अगर वीआईपी कोई था ही नहीं तो नारकोटेस्ट की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है

: कांग्रेस सरकार पर सीधे-सीधे यही आरोप लगा रही है कि वो  कुछ लोगों को बचाने की कोशिश में है

आखिर वो कौन लोग हैं?  जिनको बीजेपी की सरकार बचाना चाहती है

आखिर वो  कौन लोग हैं जिनको लेकर मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल के बयान पर बवाल मचा हुआ है?

आखिर वह कौन लोग हैं जिनको लेकर बार-बार सवाल उठ रहे हैं कि हत्या के असल जिम्मेदार वही हैं ? लेकिन मंत्री के बयान के बाद लगातार सियासत भी तेज हो चुकी है सवाल वही कि वीआईपी यदि  कोई है नहीं तो फिर नारकोटेस्ट की जरूरत ही क्यों?  तो क्या प्रेमचंद अग्रवाल का बयान उन पर भारी पड़ने वाला है ?

विपक्ष आरोप लगा रही है कि सरकार जब सब कुछ करने को तैयार है तो  सीबीआई जांच से क्यो पीचे हट रही है

 

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