तनाव से मुक्ति के लिए कुछ दिन गाँव की सैर

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डेली काम के बोझ से थक गए हैं ?

ऐसा लगता है कि आप एक मशीन बनकर रह गए हैं ?

घड़ी देखकर खाना खाते हैं ?

घड़ी देखकर सोते हैं और उठते हैं?

 स्ट्रेस फ्री होने के लिए क्लासेस जॉइन करने की सोच रहे हैं?

 तो रुकिए ये वीडियो सिर्फ आपके लिए ही है आपकी समस्या के समाधान के लिए है ।  अगर आप अपने रूटीन वर्क से थक गए हो और अपने आपको मशीन ही समझने लगे हो तो आपको दवा कि नहीं, सिर्फ  जगह बदलने की जरूरत है ।

इसके लिए आप आसपास के प्राकृतिक वातावरण में कुछ दिन घूमने जा सकते हैं और अगर आपका गांव आसपास ही है तो कुछ दिन  घुम आइये । वहाँ  आपको क्या मिलेगा,  यही मैं इस वीडियो में आपको दिखाने की कोशिश कर रहा हूं ।

इस वीडियो में मैं आपको अपने गांव का विल्लेज टूर लिए जा रहा हूं । तो चलिए चलते हैं मेरे गांव द्वारि बड़कोट

हरी-भरी सुंदर पहाड़ी से लगी छोटी नदी के किनारे बसा मेरा सुंदर सा गांव ।

हालांकि गांव से हटकर हमने अपने अपना घर बनवाया है।  घर से लगे हुए ही सामने खेत  दिखाई दे रहे  हैं जो आपको सुबह श्याम स्ट्रेस फ्री करने का काम करते हैं ।

गांव से बाहर निकलने से पहले चलिए अपने घर के आस-पास कौन क्या कर रहा है , इस पर एक नजर डाल लेते हैं। आप अपने घर गांव में अपने हिस्से की अपनी जिम्मेदारी का कुछ काम करते भी हैं या ऐसे ही टाइम काटते है । चलिये आपको दिखाते हैं कौन क्या कर रहा है

गाँव से से हटकर कुछ 3- 4 परिवार ही फिलहाल यहाँ यहां पर रह रहे हैं बाकी के लोग शहर वासी हो गए है कुछ परिवार  गांव में है जो यहाँ से कुछ ही दूरी पर है  गाँव के लोग इस वक्त क्या कर रहे हैं चलिए वही चलकर आपको दिखाते हैं ।

घर से बाहर निकल कर आपको यह छोटी सी पहाड़ी नदी पार करनी होगी और इस नदी को पार करते ही यह जो रास्ता निकल कर जाता है इसे हम शिल्ला  कहते है  । यहां साल भर में केवल 2 महीने ही धूप पड़ती है बाकी यहां हमेशा पानी की बुंदों   से ही जमीन गीली ही रहती है यही वजह है कि यहां पर लोग इलायची की खेती करते हैं क्योंकि इसे पानी की ज्यादा जरूरत होती है इसे न तो कोई जंगली जानवर नुकसान पहुंचाता है न बंदर खाता है और ना सूअर।

 

गांव में आज भी आपसी  सहभागिता से काम होते हैं और यही  आपसी रिश्तो को और अधिक  मजबूती प्रदान करते हैं अब यदि किसी को घर बनाना है तो लेबर कॉस्ट घटाने के लिए गांव के लोग एक दूसरे की मदद करते हैं ।

अब मायाराम को ही देख लीजिए गांव में मायाराम का घर  बन रहा है इसके लिए ईट सरिया और पत्थर सड़क पर ट्रक से डाल दिए हैं इसे गांव तक पहुंचाने के लिए मायाराम की परिवार के साथ ही गांव के सभी लोग सहयोग करते हुए निर्माण स्थल पर पहुंचा रहे हैं । इससे उसकी लागत कम आएगी और अगली बार जब आपका घर बनेगा तो आपको भी इसी तरह की मदद मिल जाएगी । बच्चे हो या बड़े अपनी उम्र और ताकत के अनुसार आप ये  वजन उठा सकते हैं । देख लीजिए छोटे-छोटे बच्चे हंसी गौरी अंजलि प्रांजलि मगना और मगोसी भी अच्छी ख़ासी इंटे पीठ पर लाड़ कर लिए जा रही है ।

मायाराम का मकान जैसे ही पूरा होगा इसके बाद सीताराम का घर  निर्माण शुरू हो जाएगा ।  सीताराम ने भी बिल्डिंग का पूरा मटिरियल  इकट्ठा कर लिया है और इसी तरह से गांव के लोग सीताराम के मकान बनाने में भी अपना सहयोग प्रदान करेंगे । गांव की यही खासियत है और यही वजह है कि गांव में मॉर्निंग वॉक और एक्सरसाइज के लिए अलग से समय बर्बाद नहीं करना पड़ता । इसी तरह के काम करके बॉडी खुद ब खुद वार्म अप हो जाती   है ।

चलिये आपको  दिखाते हैं की माया राम का घर कितना बन चुका है और मटेरियल कहां कहां इकट्ठा हो रहा है और कौन किस किस  तरह से अपना सहयोग कर  कर रहा है।

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