हल्की धारा मे क्यो केस दर्ज करता है आबकारी विभाग ?

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डीजीपी उत्तराखंड  अशोक कुमार  के शराब मुक्त उत्तराखंड अभियान के बाद अब पुलिस कच्ची शराब मे भी धर पकड़ करने लगी है । आम तौर पर यह काम आबकारी विभाग का होता  है पर कभी स्टाफ की कमी का तो कभी विभाग की खराब गाड़ी का बहाना बनाकर विभाग अक्सर चुप्पी साध लेता है और उसके हिस्से का काम  भी पुलिस को ही करना पड़ता  है ।

 उत्तरकाशी पुलिस कप्तान अपर्ण यदुवंशी भी आजकल शादी विवाह के मौको पर मेहँदी के नाम पर शराब परोसे जाने के खिलाफ एक अभियान  सुरू करने जा रहे है । इसके लिए उन्होने कच्ची शराब पीकर गाँव मे माहोल खराब  करने वालों के खिलाफ भी अभियान छेड़ दिया है । इसी कड़ी मे उन्होने कच्ची शराब के साथ दो लोगो को गिरफ्तार किया जबकि 500 लिटर शराब का मटिरियल नष्ट किया ।

कहावत है कि पीने वाले को पीने का बहाना चाहिए। कभी  खुशी के मौके पर तो कभी गम भुलाने के लिए भी शराब का सहारा लिया जाता है । जहां चार यार मिल जाते हैं, वहां जाम से जाम टकराए जाते हैं। लोग अमूमन सार्वजनिक स्थानों पर भी शराब पीने से नहीं हिचकते। क्या सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीना अपराध है?

सामान्य तौर पर कहें तो निजी स्थान पर शराब पीना अपराध नहीं है, किंतु सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीना एवं लोगों की झुंझलाहट, परेशानी का कारण बनना, अतिचार करना अवश्य अपराध है।

इसके खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा- 510 के अंतर्गत इसके लिए दंड का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति शराब के नशे में किसी सार्वजनिक क्षेत्र में उपद्रव करता मिलता है तो आईपीसी की धारा- 290 भी साथ में जोड़ी जा सकती है।

 

जबकि आबकारी अधिनियम की धारा 60 शराब के अवैध कारोबारियों के लिए अभयदान से कम नहीं है। इस धारा में मामला दर्ज होने पर आरोपियों को थाने से ही जमानत मिल जाती है। जबकि, ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 272 का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें सजा के कड़े प्रावधान हैं। बावजूद, यह नहीं लगाई जाती है, जिससे अवैध शराब का कारोबार जमकर फलफूल रहा है। इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ बाकी सभी में अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ आबकारी अधिनियम की धारा 60 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसमें से ज्यादातर आरोपियों को थाने से ही मुचलके पर छोड़ दिया जाता है।
जबकि, शराब में खतरनाक अपमिश्रण पाए जाने पर आईपीसी की धारा 272 का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसमें आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। इस धारा के तहत मिलावट को संज्ञेय व अजमानतीय अपराधों में रखा गया है। । लेकिन, यह धारा शराब के अवैध कारोबारियों पर नहीं लगाई जाती। आबकारी विभाग इससे बचता है, जिससे अवैध शराब के कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं।  इसी बात को ध्यान मे रखते हुए उत्तरकाशी पुलिस कप्तान ने अब शरब पीकर हुड़दंग करने वालों पर  अपनी भौहे टेढ़ी कर ली है

 

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