15 लाख मे सरकारी नौकरी पक्की – #VDO/VPDO भर्ती घोटाले का दूसरा हाकम कौन ?

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यदि कोई आपको 15 लाख मे सरकारी नौकरी देने का भरोसा दिलाये तो आप  क्या करेंगे ?

6- 7 साल परीक्षा देकर इंतजार करेंगे या 15 लाख की व्यवस्था करेंगे ?

 यूकेएसएसएससी और यूकेपीएससी से भरोसा उठाने के बाद अब बेरोजगार सरकारी सिस्टम की बजाय बॅक डोर भर्ती के लिए चक्कर मारने लगे है । देहारादून पुलिस ने ऐसा  ही  एक बड़ा खुलासा किया है कि  कैसे फर्जी लोग युवाओ को लूटने मे लगे हुए है जबकि उनकी किसी से कोई जान  पहिचान भी नहीं है । मगर सवाल विश्वास का है जो सरकार खो चुकी है

 

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उत्तराखंड मे हाकम सिंह प्रकरण के बाद बेरोजगार युवाओ  को पूरा विश्वास हो गया है कि पैसे देकर नौकरी आसानी से पाई जा सकती है,  लिहाजा मेहनत करने के बजाय शॉर्टकट के तरीके से नौकरी लगने की लिए लोग जानबूझकर अपने आपको प्रस्तुत करने लगे हैं । इसी विश्वास का फायदा उठाकर कुछ फर्जी लोग भी अपनी फर्जी जान पहचान का वास्ता देकर लूटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सोसल मीडिया पर औडियो वायरल होने के बाद पुलिस हरकत मे आई ।

मामले का खुलासा तब हुआ जब उत्तरकाशी के एक युवक ने देहरादून के थाना नेहरू कॉलोनी में मैं मुकदमा दर्ज कराया उत्तरकाशी भंकोली  निवासी रविंद्र राणा पुत्र बालम सिंह राणा ने पुलिस को बताया कि 2021 में नरेश नाम के युवक ने जो सीएससी सहारनपुर में लैब असिस्टेंट के पद पर तैनात है ,  बताया कि कल्पना जो एक जॉब कंसलटेंसी जो चलाती है की जान पहचान का फायदा उठाकर उसे वीडीओ और वीपीडीओ  की भर्ती में 15लाख  रुपए देकर भर्ती कराया जा सकता है जिसके लिए बाकायदा  ₹300000 एडवांस की मांग की गई और बाकी की रकम भर्ती होने के बाद देने की बात तय हुई , लेकिन परीक्षा परिणाम आया तो नौकरी पाने वालों मे उसका कहीं  नाम नहीं था जब पैसे वापस मांगे गए तो कहा गया किसी अन्य नौकरी में उसे  लगा दिया जाएगा और पैसे को वहीं एडजस्टमेंट कर दिया जाएगा ।

देहारादून पुलिस ने आरोपी नरेश कुमार को से गिरफ्तार कर लिया जिस ने बताया कि वह भी  पूर्व में एक एनजीओ चलाता था और व लोगों को अपनी झूठी ऊंची जान पहचान होने का झांसा देकर सरकारी नौकरी लगाने के एवज में अच्छी खासी रकम एंथने का काम करता है और यदि उसका अपनी मेहनत से चयन हो जाता था तो उससे  बाकी तय किए हुए पैसे ले लिए जाते  थे और यदि नहीं होता था तो उसे धीरे-धीरे पैसे वापस करने की बात की जाती थी या किसी अन्य नौकरी में उसे ऐडजस्ट  करने की बात कह दी जाती थी।

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