उत्तर प्रदेश मे किसानों के लिए इन दिनों आवारा पशुओ से अपनी फसल को बचाना सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है और पूरे देश में किसान इस बात से परेशान है।
आवारा पशुओ से अपनी फसल को बचाने के लिए अब किसान लगातार खेती की निगरानी करने पर मजबूर हो गए हैं।
छुट्टा जानवरों और नीलगायों की आतंक से जनपद प्रयागराज के ग्रामीण क्षेत्रो के किसानो की दशा अब दुर्दशा में बदल गई है इसको लेकर जिले के सामाजिक कार्यकर्ता सतीश शुक्ला की माने तो कोई किसान इन गौवंश को अपने आश्रय पर ले जाना भी चाहे तो अन्य गाँव के लोग और पुलिस उसे धार्मिक मामले से जोड़कर परेशान करती है और मार पीट भी होती है है जिस डर से लोग पशुओं को ऐसे ही चोरी छुपे छोड़ देते है ।
दूसरी तरफ नीलगायों को लेकर भी किसान परेसान है ये साल में दो बार प्रजनन करती है अंधा धुन्ध जंगलों की कटाई से ये भी गाँव देहात में अपना डेरा जमाये है सरकार इनके गर्भ निरोधक के लिए उपाय करें जिससे इनकी तादाद में इजाफा ना हो । क्योंकि अब नील गायें भी बड़ी संख्या में किसानों की फसलों की ओर रुख कर रही है और किसानों की आमदनी में सेंध लगाने का काम कर रही हैं।
Up सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश के लिए कई योजनाए संचगलित है । गोवंश सहभागिता योजना मे कोई भी किसान निराश्रित आश्रय अस्थल से गोवंश लाकर देखभाल करेगा तो उसे प्रति गोवंश नौ सौ रूपए प्रति माह दिया जाता है इस योजना के अंतर्गत लगभग एक लाख गोवंश किसानो के पास है वहीं कुपोषित परिवारों को एक दुधारू गाय दी जा रही है ऐसे परिवारों को भी नौ सौ रूपए दिये जा रहे है जबकि धरातल पर इन योजनाओं को लेकर लोगों में कोई जगुरकता नहीं है ।