पहाड़ी रंग-रूप में निखरेगी टिहरी की खूबसूरती; मॉडल विलेज, रोपवे, बायोडाइवर्सिटी पार्क और म्यूजियम तक शामिल; डीएम ने दिए खास निर्देश
🟢 ओपनिंग पैरा
टिहरी झील… सिर्फ पानी का समंदर नहीं, बल्कि भविष्य का इंटरनेशनल टूरिज्म हब बनने जा रही है! शनिवार को जिलाधिकारी नितिका खंडेलवाल की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक में साफ हुआ कि अगले छह साल में टिहरी की तस्वीर पूरी तरह बदलने वाली है। और इसके पीछे है एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) का मल्टी-करोड़ का धमाकेदार प्रोजेक्ट!

📰 खबर विस्तार से
🌄 पहाड़ी रंग-रूप में निखरेगी टिहरी!
बैठक में डीएम नितिका खंडेलवाल ने कहा —
“टिहरी के विकास में पहाड़ी कला, रंग और आकृतियां झलकनी चाहिए। निर्माण और सौंदर्यीकरण ऐसा हो कि लोग यहां आकर बस जाने को दिल में ठान लें!”
📊 मास्टर प्लान से होगा विकास!
पर्यटन विशेषज्ञ आशीष कठैत ने बताया कि टिहरी टूरिज्म मास्टर प्लान बनाया जा रहा है।
“पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए क्लस्टर डेवलपमेंट किया जाएगा। पहले सर्वे, फिर विकास!”
🏗 बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स लाइन में!
बैठक में खुलासा हुआ कि प्रोजेक्ट के तहत कुल 19 डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स) बननी हैं। अभी तक सिर्फ एक डीपीआर बनी है, जिसमें शामिल हैं:
- टिहरी आईएसबीटी (बस टर्मिनल)
- सिटी सेंटर
- व्यापारिक केंद्र
बाकी डीपीआर में शामिल हैं – टूरिज्म रोड, डोबरा चांटी पार्क, टिपरी-मदन नेगी रोपवे, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, बायो-डाइवर्सिटी पार्क, हर्बल पार्क और ग्रीन प्रोजेक्ट्स।
“बरसात के बाद कई प्रोजेक्ट्स पर जमीन पर काम शुरू हो जाएगा!” — आशीष कठैत
🎭 टिहरी के इतिहास को मिलेगा मंच!
नगर पालिका अध्यक्ष मोहन सिंह रावत ने अपनी बात रखते हुए कहा:
“टिहरी के इतिहास को दिखाने के लिए म्यूजियम, बच्चों के लिए ऑडिटोरियम और घाटों का निर्माण ज़रूरी है।”
🌳 हरियाली से सजेगा टिहरी!
डीएफओ पुनीत तोमर ने वनीकरण और फॉरेस्ट ट्रेल्स पर जोर दिया।
“टिहरी के पर्यटन में हरी चादर ही असली खूबसूरती है।”
🤝 कई दिग्गज हुए शामिल!
बैठक में एडीबी के संयुक्त निदेशक राजेश पंत, प्रोजेक्ट मैनेजर आशीष कठैत, जीआईएस एक्सपर्ट इपशिता, अर्जुन सकलानी, रमन, गणेश, कम्यूनिटी डेवलपमेंट ऑफिसर मनीष नेगी, और सामाजिक विशेषज्ञ शिवानी शुक्ला जैसे कई दिग्गज मौजूद रहे। यानी इस प्रोजेक्ट को लेकर पूरी टीम अलर्ट मोड पर है!
🧭 कॉल टू रिफ्लेक्शन
टिहरी झील सिर्फ पहाड़ों की गोद में बसी एक झील नहीं, अब दुनिया के नक्शे पर एक नई पहचान बनाने की राह पर है।
लेकिन सवाल है — क्या विकास की रफ्तार और पर्यावरण की हिफाजत साथ-साथ चल पाएगी?
टिहरी का भविष्य आने वाले सालों में इस सवाल का जवाब देगा!